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मालवा-निमाड़ क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत घटने से बढ़ी राजनीति दलों की चिंता, मालवा-वर्षों से भाजपा का गढ़

भोपाल। भारतीय जनता पार्टी मध्यप्रदेश में करीब 20 सालों से सत्ता में काबिज है, कमलनाथ की 15 माह की सरकार का कार्यकाल छोड़ दिया जाए तो भाजपा वर्ष 2003 से अब तक लगातार प्रदेश की सत्ता संभाले हुए है। भारतीय जनता पार्टी वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद 15 माह के लिए सत्ता से बेदखल हुई थी, इसका मुख्य कारण मालवा-निमाड़ और महाकौशल क्षेत्र की आदिवासियों का कांग्रेस के प्रति रुझान। भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में बहुत कम सीटों से मिली चुनावी हार से सबक लेते हुए 2020 में सत्ता में वापसी करने के बाद जनजातीय वर्ग को साधने का पूरा जतन किया है, बावजूद इसके मालवा-निमाड़ और महाकौशल क्षेत्र में इस बार उसे कम संख्या में सीटें मिलने की आशंका जताई जा रही है। इस आशंका को तब और बल मिल गया, जब मतदान के बाद भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला कि मालवा-निमाड़ क्षेत्र में कम मतदान हुआ है।
मालवा मध्यप्रदेश के गठन के बाद से ही भरतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है। मालवा में भाजपा की अच्छी पकड़ के कारण ही वह करीब 20 सालों से मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबित है, लेकिन निमाड़ क्षेत्र में इस बार कम मतदान भाजपा को चिंता में डाल रहा है। मतदान का प्रतिशत कम होने से चिंता कांग्रेस की भी बढ़ रही है, लेकिन भाजपा सत्ताधारी दल होने के कारण अधिक चिंता स्वाभाविक है।

पेसा एक्ट लागू किया फिर भी मत प्रतिशत नहीं बढ़ा

निमाड़ क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी ने पेसा एक्ट लागू करके आदिवासियों के अधिकारों को उनका अधिकार वापस करने सहित राशन आपके द्वार, प्रधानमंत्री आवास योजना में झोपड़ी में रहने वाले आदिवासियों को मकान देने के साथ कई विकास कार्य किए हैं, लेकिन मतदान प्रतिशत कम होने का कारण तलाशने में राजनीतिक विश्लेषक जुट गए हैं। मालवा-निमाड़ क्षेत्र में विधानसभा की 66 सीटें हैं, इसमें से 22 अनुसूचित जनजाति, 9 अनुसूचित जाति और 35 सामान्य के लिए आरक्षित हैं। मालवा क्षेत्र जो वर्षों से भाजपा का गढ़ रहा है, वहां भी कम मतदान भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों को चिंतित कर रहा है। चूंकि भाजपा सत्ता में है, ऐसे में भाजपा की चिंता अधिक होना स्वाभाविक भी है।

अनुसचित जनजाति की सीटों पर 2018 के मुकाबले इस वर्ष 0.03 प्रतिशत मतदान कम हुआ। वहीं वर्ष 2013 के मुकाबले 2018 में इन अजजा सीटों पर 5.15 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ था। अनुसचित जाति की सीटों पर भी 2018 के मुकाबले 0. 68 प्रतिशत कम मतदान दर्ज किया गया, जबकि 2013 के मुकाबले 2018 में 2.98 प्रतिशत अधिक मतदान दर्जकिया था।

पहुंचे थे राजनीतिक दिग्गज

मध्यप्रदेश की सत्ता का रास्ता मालवा-निमाड़ होकर ही जाता है। ऐसे में भाजपा और कांगे्रस दोनों दलों के दिग्गज नेताओं ने इस क्षेत्र में चुनावी सभाएं कर जनता को अपने पक्ष में करने के लिए प्रयास किया है, लेकिन मतदाताओं का रुझान कम होना चिंता का विषय है।

मालवा-निमाड़ में विधानसभा की 66 सीटें हैं। इसमें से 22 अनुसूचित जनजाति, 9 अनुसूचित जाति और 35 सामान्य के लिए आरक्षित हैं। सभी दलों के नेताओं ने मालवा निमाड़ में चुनावी सभाओं को सम्बोधित किया है। मालवा-निमाड़ में 2018 के मुकाबले मात्र 0.47 प्रतिशत मतदान ज्यादा हुआ है, जबकि 2013 के मुकाबले 2018 में 3.39 प्रतिशत मतदान अधिक हुआ था। इलाके की 26 सीटों पर पिछले चुनाव के मुकाबले एक प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। इसमें से पिछले चुनाव में 13 स्थान कांग्रेस, 12 भाजपा और 1 निर्दलीय के पास था।

 

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