कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए भाजपा, कांग्रेस, जेडीएस ने अपने तरकश के सभी तीर निकालने शुरू कर दिए है। कांग्रेस और जेडीएस इस चुनाव को क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित रखना चाहती है। वहीं भाजपा राष्ट्रीय मुद्दों को आधार बनाने में जुटी हुई है। कांग्रेस इस विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर अभी तक दंभ भरती नजर आ रही है। वहीं दूसरी ओर कर्नाटक में चुनाव प्रचार के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तूफानी दौरा शुरू होना बाकी है। कांग्रेस की निगाहें भी इसी बात को लेकर संशकित है। कांग्रेस को इस बात का डर सताने लगा है कि प्रधानमंत्री का दौरा शुरू होते ही पार्टी के पक्ष में बना माहौल अचानक से यूटर्न में न तब्दील हो जाए।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कर्नाटक में 28 अप्रैल को अपना चुनावी प्रचार अभियान की शुरुआत करेंगे। भाजपा ने कर्नाटक में प्रधानमंत्री के 20 चुनावी सभाएं और रोड शो कराने की योजना बना रखी है। चुनावी प्रचार के आखिरी सप्ताह में वोटरों का माहौल तैयार होता है। प्रधानमंत्री के दौरे के बाद यह माहौल कैसा बनेगा, इसी पर सब कुछ निर्भर करता है। कर्नाटक से जुड़े एक नेता, जो अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में महत्वपूर्ण पद भी संभाल रहे हैं, उनका मानना है कि अभी तक सब कुछ पार्टी के पक्ष में चल रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री की रैली के बाद क्या होगा, यह कहा नहीं जा सकता है। प्रधानमंत्री अपने चुनावी भाषण में मुद्दों को क्या ‘स्पिन’ (घुमाव) दे देंगे, चुनाव पूरी तरह से उसी पर निर्भर करता है। आखिरी समय में चले गए मुद्दे ही चुनावी माहौल को नई मोड़ दे देता है। कांग्रेस अभी तक प्रधानमंत्री के इस स्पिन का अंदाजा तक नहीं लगा पा रही है। कांग्रेस ने अपने सभी नेताओं को समझा दिया है कि कर्नाटक में क्षेत्रीय मुद्दों के अलावा किसी भी राष्ट्रीय मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है। यही वजह है कि कांग्रेस नेताओं ने अतीक अहमद से लेकर अडाणी तक के मुद्दों को चुनावी प्रचार का हिस्सा नहीं बनाया है।
राहुल गांधी के प्रति सहानुभूति से ज्यादा शिवकुमार की मांग
कर्नाटक चुनाव प्रचार के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राहुल गांधी की सहानुभूति से ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार की लोकप्रियता ज्यादा मायने रखती है। आलम यह है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता की बात तो दूर नेता भी राहुल गांधी की अयोग्यता को लेकर चुनाव में चर्चा करना तक नहीं चाहते हैं। नेता इस सहानुभूति को भुनाने तक के लिए तैयार नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश में राहुल गांधी की चुनावी रैली और सभाएं चार लोकप्रिय नेता में सबसे कम केंद्रित रखा गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा चुनावी सभा करने वालों में डी शिवकुमार अग्रणी है। उन्हें 70 विधानसभाओं में चुनावी सभा और रैलियां करनी है। दूसरे नंबर पर सिद्धारमैया हैं। जिन्हें 60 विधानसभाओं में चुनावी सभाएं और रैलियां करनी है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को 40 विधानसभा और राहुल गांधी को 20 विधानसभाओं में चुनावी सभाएं और रैलियां करनी है।