इस वर्ष चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार के दिन से शुरु हो गई हैं और माँ दुर्गा के सभी भक्त पहले दिन से ही माता रानी की पूजा-आर्चना करने में लीन हो गए हैं। चैत्र नवरात्र के इन 9 दिनों में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों को पूजा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि में माँ दुर्गा इस धरती पर अपने 9 रूपों में प्रकट हुई थीं। ऐसे में माना जाता है कि इन 9 दिनों में माता रानी के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा करने से आपके सभी संकट दूर हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
चैत्र नवरात्र के 9 दिनों में माता रानी के इन स्वरूपों की होती है पूजा
चैत्र नवरात्र के 9 दिनों में माता रानी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें 9 अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे- माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कूष्माण्डा, माँ स्कन्दमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्री, माँ महागौरी और माँ सिद्धिदात्री हैं माता रानी के इन 9 स्वरूपों की आराधना के लिए 9 आलग-आलग मंत्रों का जाप करना चाहिए।
माता रानी के 9 स्वरूपों के 9 मंत्र
1. माता शैलपुत्री – माँ शैलपुत्री, माता रानी का पहले स्वरूप माना जाता है इस लिए नवरात्र के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माता शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करने से रोजगार, धन और स्वास्थ्य में सुधार आता है।
माता शैलपुत्री का मंत्र
ॐ देवी शैलपुत्र्यैनमः
प्रार्थना मंत्र –
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
2.मां ब्रह्मचारिणी – माँ ब्रह्मचारिणी, माता रानी का दूसरा स्वरूप माना जाता है इस लिए नवरात्र के दूसरा दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि माता ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने से कई सिद्धियों की प्राप्ति हो होती है।
माता ब्रह्मचारिणी का मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
3. माता चंद्रघण्टा- माँ चंद्रघण्टा को माता रानी का तासरा स्वरूप माना जाता है इस लिए नवरात्र के तासरे दिन माता चंद्रघण्टा की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि देवी का यह स्वरूप संतुष्टि की देवी के रूप में पूजा जाता है।
मां चंद्रघण्टा का मंत्र
ॐ देवी चंद्रघण्टायै नमः
प्रार्थना मंत्र –
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
4. माता कूष्माण्डा- माँ कुष्मांडा को माता रानी का चौथा स्वरूप माना जाता है इस लिए नवरात्र के चौथा दिन माता कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि माता रानी के इस स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है।
माता कूष्माण्डा का मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः
प्रार्थना मंत्र –
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
5. माता स्कन्दमाता- माँ स्कन्दमाता को माता रानी कापाचवास्वरूप माना जाता है इस लिए नवरात्र केपाचवादिन माता स्कन्दमाताकी पूजा-अर्चना की जाती है। माँ पार्वती कार्तिकेय की मां हैं और कार्तिकेय का एक नाम स्कंद भी है, इसलिए इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है।
माता स्कन्दमाता का मंत्र
ॐ देवी स्कन्दमात्र्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
6. मां कात्यायनी- मां कात्यायनी माता रानी का छठवां स्वरूप हैं। इनकी आराधना करने से संताप, रोग, शोक आदि से मुक्ति मिलती है।
मां कात्यायनी का मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
7.माँ कालरात्री- को माता का सातवें स्वरूप माना जातदा है माता के इस स्वरूप की पूजा आलौकिक शक्तियों, तंत्र सिद्धि, मंत्र सिद्धि आदि के लिए की जाती है।
माता कालरात्री का मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
8. माता महागौरी – माँ महागौरी को माता का आठवां स्वरूप कहा जाता है। माँ महागौरी की पूजा आत्मा को पवित्र और स्वच्छ बनाती हैं।
माता महागौरी का मंत्र
ॐ देवी महागौर्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
9. माता सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री को माता रानी का नौवां स्वरूप कहा जाता है। किसी भी तरह की सफलता के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।
माता सिद्धिदात्रीका मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः
प्रार्थना मंत्र –
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
By Shalini Chourasiya