इस बात से तो सभी परिचित होंगे की भगवान जगन्नाथ को ‘ब्रह्मांड के भगवान’ माना जाता है क्योंकि भगवान जगन्नाथ विष्णु भगवान का ही एक रूप है जिन्होंने इस संसार की रचना की थी। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर प्रति वर्ष ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लाखों की संख्या में लोग पुरी शहर पंहुचते हैं, इस रथ यात्रा में मुख्य रूप से तीन देवताओं की पूजा की जाती है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा रहती हैं।
क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
पुराणों की माने तो प्रति वर्ष ज्येष्ठ मास के पूर्णिमा तिथि को भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को उनके गर्भगृह से बाहर निकाल कर उनका स्नान कराया जाता है और कहा जाता है कि स्नान करने के बाद भगवान जगन्नाथ को बुखार आ जाता है और वह बीमार पड़ जाते हैं जिसके कारण वह 15 दिनों तक अपने शयन कक्ष में विश्राम करते हैं, जिस कारण वह अपने भक्तों को दर्शन नहीं दे पाते हैं लेकिन 15 दिनों के विश्राम के बाद वह बिल्कुल ठीक हो जाते हैं और इसके बाद आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ स्वस्थ होकर अपने विश्राम कक्ष से पुना: गर्भगृह में आते हैं। इसी खुशी में भगवान जगन्नाथ के भक्त उनकी भव्य रथ यात्रा निकालते हैं।
इस दिन से शुरू होगी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
हिंदू पंचांग की माने तो भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा उदया तिथि के अनुसार 7 जुलाई 2024 से शुरु होगी जो 7 जुलाई 2024 आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को सुबह 4 बजकर 26 मिनट से शुरु होगी जो 8 जुलाई 2024 की सुबह 4 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी।
कैसे निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ रथयात्रा
ओडिशा के पुरी में प्रति वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बड़ी ही धूम-धाम से निकाली जाती है जिसमे भगवान जगन्नाथ के साथ उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र भी शामिल रहते है, इस रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाईबलभद्र तीनो के अलग-अलग रथों को तैयार किया जाता है। जिसमें सबसे आगे बड़े भाई बलभद्र जी का रथ रहता है, बीच में बहन सुभद्रा और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ जी का रथ चलता है। इन अति विशाल रथों में विराजमान होकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बड़े भाईबलभद्र तीनो अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं और वहां वह तीनों कुछ दिनों के लिए विश्राम करते हैं और कुछ दिनों बाद वह पुनः अपने घर लौट आते हैं।
By Shalini Chourasiya