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महानवमी पर क्या है कन्या पूजन का महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। चैत्र नवरात्र में पूरे 9 दिनों तक माता रानी के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है और आज चैत्र नवरात्र का आठवाँ दिन है जिसे महाअष्टमी के नाम से जाना जाता है हिंदू धर्म में पंचांगों के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि प्रारम्भ होती हैं और नवमी तिथि पर समापन हो जाती है और इस चैत्र नवरात्रि का कल आखरी नौवां  दिन है जिसमें कन्या पूजन को  विशेष महत्व दिया जाता है, माना जाता है कि नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक माता रानी की पूजा उपासना करने के बाद कन्या पूजन करने पर माता रानी बहुत जल्दी प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तो पर क्रपा करती है।

कन्या पूजन करने का महत्व

शास्त्रों के अनुसार, कन्याओं को माँ दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। और नवरात्रि  में कन्या पूजन करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देतीं हैं, इसलिए अष्टमी और नवमी के दिन पर कन्याओं की पूजा की जाती है। कन्या पूजन के लिए  2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को अपने घर में लाकर उनका  पूजन कर भोजन के लिए आमंत्रित किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि कन्या पूजन का मुहूर्त 

नवरात्रि में कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया जाता है। नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का विधान है। इस वर्ष की चैत्र नवरात्रि में अष्टमी 16 अप्रैल और नवमी 17 अप्रैल 2024 की है जिसमें कन्या पूजन  किया जाना है। जिसमें 17 अप्रैल महानवमी के दिन सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर 7 बजकर 51 तक कन्या पूजन का मुहूर्त  हैं और वहीं इसके बाद यदी आप दोपहर में कन्या पूजन 1 बजकर 30 मिनट से लेकर 2 बजकर 55 मिनट किया जा सकता है। 

कन्या पूजन की विधि

नवरात्रि में माता रानी की पूजा उपासना कर के नौवें दिन कन्या पूजन करें इसके लिए सबसे पहले आप  कन्या पूजन का संकल्प लें और कन्याओं को अपने घर आने का निमंत्रण दें और फिर घर पर कन्याओं के आने का बाद उनका पूजन करें और शुद्ध जल से उनके चरण धुलाकर उन्हे आसन पर बैठाएं। भोजन में चने,खीर, पूरी, और हलवा  बनाऐं और माता रानी को भोग लगाकर कन्याओं को भोजन कराएं। फिर उन्हें टीका लगाकर कलाई पर रक्षासूत्र बांधें और चरण स्पर्श कर वस्त्र, फल और दक्षिणा देकर उनकी विदा करें।

By Shalini Chourasiya

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