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- भगवान वामन ने प्रहलाद के पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदम में तीनों लोक नाप दिेए थे ।
जब -जब धर्म की हानि होती है. और अधर्म बढ़ने लगता है तब -तब भगवान विष्णु अलग -अलग युगों में अपने अलग -अलग अवतार में अवतरित होकर पापियों का नाश करते है और धर्म की पुन:स्थापना करतें है। आज के इस लेख में आप जानेंगे की भगवान विष्णु ने वामन अवतार क्यों धारण किया । भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन देव ने भाद्रपद शुक्ल पक्ष द्वादशी को अभिजित मुहूर्त में श्रवण नक्षत्र में माता अदिति व कश्यप ऋषि के पुत्र के रूप में जन्म लिया था । भगवान वामन ने प्रहलाद के पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदम में तीनों लोक नाप दिेए थे । मान्यताओं के अनुसार असुरराज बलि ने अपने तपोबल और पराक्रम से तीनों लोक पर अधिकार कर लिया था । जिस कारण से सभी देवी -देवताओं मे हड़कंप मच गया था। हारे हुए देवराज इंद्र ने स्वर्ग पर अधिकार प्राप्त करने के लिए विष्णु जी से प्रार्थना की जिसके बाद भगवान विष्णु एक बौने ब्राह्मण के वेष में बलि के पास गये उससे दान में तीन पग भूमि देने का आग्रह किया राजा बलि को अपने दान पर अहंकार था । उसने सोचा तीन पग भूमि कौन सी बड़ी बात है वह इसके लिेए तैयार हो गया । गुरू शक्राचार्य के चेताने पर भी बलि ने वामन को हाथ में गंगा जल लेकर तीन पग भूमि देने का वचन दे डाला । जिसके बाद भगवान वामन अपना आकार बढ़ाने लगे और विकराल रूप धारण कर लिया उन्होने एक पग में पृथ्वीलोक और दूसरे पग में स्वर्ग लोक नाप लिया जब तीसरा पग रखने की जगह नहीं बची तो राजा बलि के सामने वचन निभाने का संकट आ गया उसका अहंकार चकनाचूर हो चुका था जिसके बाद दैत्यराज बलि ने अपना मस्तक भगवान के चरणों के आगे रख दिया । वामन भगवान ने अपना तीसरा पग उसके मस्तक पर रख दिया जिससे बलि का सिर पाताल लोक में चला गया। लेकिन बलि की दानवीरता को देख भगवान बहुत प्रसन्न हुए और उन्होने दैत्यराज को पाताल का अधिपति बना दिया । – (रिंकी कुमारी )