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- पुत्र पाकर शिशुपाल के माता पिता बहुत चिंतित हो उठे उन्हें लगा कि उनके घर पुत्र के रूप में कोई राक्षस पैदा हुआ है।
शिशुपाल वासुदेवजी की बहन और छेदी के राजा दमघोष का पुत्र था. इस तरह से वह श्रीकृष्ण का फुफेरा भाई था. शिशुपाल विचित्र पैदा हुआ था. वह तीन आंखों और चार हाथ के साथ जन्मा था. ऐसा पुत्र पाकर शिशुपाल के माता पिता बहुत चिंतित हो उठे उन्हें लगा कि उनके घर पुत्र के रूप में कोई राक्षस पैदा हुआ है। इसलिए उन्होंने शिशुपाल को त्याग देने का फैसला किया. लेकिन तभी आकाशवाणी हुई कि बच्चे का न त्यागे यह बच्चा बहुत बलवान होगा जब सही सयम आएगा तो इस बच्चे की अतिरिक्त आंख और हाथ गायब हो जाएंगे. लेकिन इसके साथ ही यह भी आकाशवाणी हुई कि किसी निश्चित व्यक्ति की गोद में बैठने के बाद इस बच्चे की अतिरिक्त आंखें और हाथ गायब हो जाएंगे लेकिन उसी व्यक्ति के द्वारा इसका वध भी होगा. आकाशवाणी को सुनकर एक तरफ शिशुपाल के माता -पिता जहां खुश हुए की उनका पुत्र बलशाली होगा और वह मनुष्य जैसा दिखेगा वही उन्हे यह जानकर चिंता होने लगी की जिस व्यक्ति के गोद में बैठने से वह मनुष्य जैसा दिखने लगेगा उसी व्यक्ति के हाथों उसका वध भी होगा। एक दिन की बात है भगवान श्रीकृष्ण अपनी बुआ के घर आए. वहां शिशुपाल को खेलता देख श्रीकृष्ण के मन स्नेह जागा और उन्होंने उसे गोद में उठा लिया. गोद में उठाते ही शिशुपाल की अतिरिक्त आंख और हाथ गायब हो गए. जिसे देख शिशुपाल के माता पिता को आकाशवाणी याद आ गयी और वो समझ गए कि उनके पुत्र का वध इन्ही के द्वारा ही होगा। तब श्री कृष्ण की बुआ ने उनसे उसका वध न करने कहा लेकिन भगवान ने अपनी बुआ को समझाया और कहा की यह विधि का विधान है जिसे कोई नहीं बदल सकता ।लेकिन मैं आपको वचन देता हूँ कि मैं इसकी 100 गलतीयों को नजर अंदाज कर दूंगा ।लेकिन 101 गलती पर मैं इसका वध कर दूंगा । पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु के दो द्वारपालों जय और विजय को सनकादि मुनियों के द्वारा ये श्राप प्राप्त था कि वे तीन जन्म तक असुर के रूप में जन्म लेंगे और भगवान विष्णु अवतार लेके उनका वध करेंगे। कथा के अनुसार शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करना चाहता था. लेकिन रुक्मिणी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं और उनसे ही विवाह करना चाहती थीं. लेकिन रुक्मणी के भाई राजकुमार रुक्मी कृष्ण के साथ रूक्मणी का विवाह नहीं होने देना चाहते थे. तब भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी को महल से लेकर आ गए और उनसे विवाह कर लिया इस बात से शिशुपाल भगवान श्रीकृष्ण से नफरत करने लगा औप उनको अपना शत्रु मानने लगा था इसी शत्रुता के कारण जब युधिष्ठिर को युवराज घोषित किया और राजसूय यज्ञ का आयोजन किया गया तो सभी रिश्तेदारों और प्रतापी राजाओं को भी बुलाया गया। इस मौके पर वासुदेव, श्रीकृष्ण और शिशुपाल को भी आमंत्रित किए गया था ।तब भरी सभा में शिशुपाल भगवान श्री कृष्ण को अपशब्द कहने और अपमानित करने लगा ।यह बात शिशुपाल को भी पता थी कि भगवान उसकी सौ गलतियों को क्षमा कर देंगे लेकिन वह अपने क्रोध नियंत्रण में नहीं रख सका और कृष्ण को लगातार अपमानित करता रहा ।तब भगवान ने उसे चेतया भी वह चुप हो जाए नहीं तो उनके हाथों उसका वध हो जाएगा लेकिन शिशुपाल कहां सुनने वाला वह लगातार कृष्ण को गालियां दिए जा रहा था । उसके 100 अपशब्दों को भगवान ने क्षमा किया लेकिन 101 अपशब्द पर श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया ।पलक झपकते ही शिशुपाल का सिर उसके धड़ से अलग हो गया ।इस प्रकार श्रीकृष्ण ने शिशुपाल का वध कर दिया । – (रिंकी कुमारी )