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इस शहर में बना हैं पंचमुखी हनुमान का 300 वर्ष पुराना मंदिर, जानिए इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

कल यानी गुरूवार को देश में बड़ी धूमधाम से हनुमान जयंती मनाई जाएगी। उसके लिए केन्द्र सरकार ने एडवाइजरी भी जारी कर दी है, जिसमें सभी राज्यों को त्यौहार शांतिपूर्ण तरीके से मनाया जाए। हिंदू धर्म में इन्हें अनेक नामों से जाना जाता है। इसमें बजरंगबली, पवनपुत्र, हनुमान और पंचमुखी प्रमुख हैं। इन सभी नामों का अपना अलग ही महत्व है। इतना ही नहीं बजरंगबली के सभी नामों की अलग- अलग मंदिरें हैं। तो चलिए आज हम आपकों पंचमुखी मंदिर के बारे में बताने जा रहें।

अहिरावण का बध करने वाले पंचमुखी भगवान

 उत्तर प्रदेश के बिजनौर में एक मंदिर है जिसमें हनुमान जी पंचमुखी रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि राम रावण युद्य के समय हनुमान जी ने  पंचमुखी रूप में अवतार लेकर रावण के भाई अहिरावण का वध किया था। बता दें हनुमान जी के पंचमुखी अवतार में पहला मुख वानर, दूसरा गरूड़, तीसरा वराह, चौथा नृसिंह और पांचवा मुख अश्व का है। बताया  जाता है इस मंदिर में हनुमान के पंचमुखी रूप का दर्शन करने वाले भक्तों के सभी दुख दूर होते हैं।

300 वर्ष पुराना है मंदिर

इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को मंदिर में विशेष पूजा-पाठ होता है जिस कारण इस दिन दूर-दूर से भक्त प्रसाद चढाने आते हैं। वहीं यहां के श्रद्धालुओं का कहना है कि ये मंदिर लगभग 300 साल पुराना है।

मंगलवार और शनिवार को चढ़ता है 25 क्विंटल प्रसाद

इस मंदिर में भक्तों का अटूट विश्वास है, इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां 1 दुकान से रोजाना लगभग दो कुंटल पेडे और बूंदी गुलदाना बनता है। वहीं मंगलवार और शनिवार को इसका अकाड़ा करीब पांच कुंटल तक पहुंच जाता है। मंदिर के पास लगभग 6 मिठाई दुकाने हैं। बताया जाता है कि 1988 में मंदिर परिसर की मरम्मत कराई गई थी, ये मंदिर लगभग 300 साल पुराना है।

अहिरावण का वधकर श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त कराया था

रामायण के अनुसार, युद्ध के समय रावण का मायावी भाई अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण को मूर्च्छित कर पाताल लोक ले गया था। अहिरावण को वरदान था कि जब वो पांच दीपक पांचों दिशाओं में जलाएगा तो उसे तभी मारा जा सकता जब एक साथ इन पांचों को दीपक को बुझाया जाए। इस कारण से पाताल में उसने 5 दिशाओं में दीपक जला रखे थे। हनुमान जी ने पंचमुखी अवतार धारण कर पांच दिशाओं में मुख कर पांचों दीपक को एक साथ बुझाया और फिर अहिरावण का वधकर श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त करा लिया था।

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