- डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों की क्रॉनिक किडनी रोग के प्रति जरूरी जांच को भी प्रोत्साहित करता है।
- किडनी रोगों के लक्षणों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।
पूरे विश्व में लोगों को किडनी की सेहत और इससे जुड़ी बीमारियों के बारे में जागरूक करने के लिए वर्ल्ड किडनी डे मनाया जाता है। किडनी मनुष्य शरीर के सबसे जरूरी अंगों में से एक है। किडनी रोगों के चलते हर साल कई लोग अपनी जान गंवा देते हैं, वहीं दूसरी तरफ किडनी फेलियर के बढ़ते मामलों के कारण किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी तेजी से बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में इस महत्वपूर्ण अंग के महत्व को उजागर करते हुए वर्ल्ड किडनी डे हर साल मार्च के महीने में दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है। इस बार यह दिन 14 मार्च को सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य किडनी के शरीर में उल्लेखनीय कार्यों और महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ाना है, इसके अलावा यह भी उजागर करना कि क्रॉनिक किडनी रोग का डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के साथ गहरा संबंध है, ये दिन डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले रोगियों की क्रॉनिक किडनी रोग के प्रति जरूरी जांच को भी प्रोत्साहित करता है। इस दिन का प्रयास यह रहता है कि अधिक से अधिक लोग किडनी की हेल्थ के बारे में जागरूक रहें।
किडनी रोगों के लक्षण और कारण
डॉक्टर एल.के.झा, डायरेक्ट एंड सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली के अनुसार किडनी रोगों लक्षणों में बार-बार यूरिन करने की इच्छा महसूस होना, यूरिन करते समय दर्द या जलन होना और यूरिन के साथ ब्लड आना जैसे लक्षण शामिल हैं। शरीर में प्यूरिन की मात्रा बढ़ जाने से शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ जाता है और आपकी किडनी यूरिक एसिड को फिल्टर करने में असमर्थ होने लगती है जिसके कारण आपको घुटनों, पैरों और उंगलियों में सूजन महसूस होने लगती है। इसी तरह आंखों के आसपास की सूजन भी किडनी रोगों की ओर संकेत देती है। किडनी रोगों के दौरान आपको कुछ भी खाने की इच्छा नहीं होती, आपकी भूख मरने लगती है, साथ ही शरीर की मांसपेशियों में भी दर्द महसूस होने लगता है। किडनी रोग के दौरान शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा बढ़ जाती है और किडनी टॉक्सिंस को सही तरह से फिल्टर नहीं कर पाती है। यदि किडनी रोगों के कारणों की बात की जाए तो यूटीआई होना, किडनी स्टोन, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, पुरुषों में बढ़ा हुआ प्रोस्टेट, महिलाओं में गर्भावस्था, किसी दवा या बीमारी के कारण शरीर की इम्युनिटी का कमजोर हो जाना और खराब लाइफस्टाइल की आदतों के चलते किडनी रोगों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आपको किडनी रोगों के लक्षणों के प्रति जागरूक रहना चाहिए और बचाव के उपायों को अपनाना चाहिए।
किडनी रोगों से बचाव
डॉक्टर राजेश अग्रवाल, चीफ एंड सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के अनुसार किडनी रोगों से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, जैसे- पेन किलर कम से कम लें, मोटापे पर कंट्रोल करें, किडनी की समस्या से संबंधित अगर कोई फैमिली हिस्ट्री है तो समय-समय पर किडनी के टेस्ट करवाते रहें और डॉक्टर से परामर्श लेते रहें। शरीर को अधिक से अधिक मात्रा में हाइड्रेट रखने से किडनी को टॉक्सिंस निकालने में सहायता होती है, इसलिए दिन भर में आपको दो से तीन लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। अधिक मात्रा में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का और प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे आपकी किडनी पर दबाव पड़ता है और उसकी कार्य प्रणाली प्रभावित होती है। धूम्रपान और शराब का सेवन भी किडनी की क्रियाशीलता पर विपरीत प्रभाव डालते हैं।
बचाव पर ही बात करते हुए डॉ. सुदीप सिंह सचदेव, डायरेक्टर एंड सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम ने बताया कि, डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर के रोगियों को किडनी रोगों से बचाव के लिए अपने शरीर में ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की नियमित निगरानी रखनी चाहिए। दर्द निवारक दवाइयों का अधिक सेवन भी किडनी पर नकारात्मक प्रभाव डालता है इसलिए इससे भी बचना चाहिए। साथ ही किडनी में किसी भी तरह की समस्या महसूस होने पर किसी नेफ्रोलॉजिस्ट का परामर्श जरूर लेना चाहिए।