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- मोबाइल को अपने से दूर नहीं किया तो भविष्य में इसकी अधिकता आपको ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन हेमरेज का शिकार बना सकता है।
नोमोफोबिया एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है। नोमोफोबिया वाले लोग जब अपने स्मार्टफोन या डिजिटल डिवाइस से दूर होते हैं तो उन्हें घबराहट, चिंता और भय होने लगता है। अगर किसी को नोमोफोबिया है तो डिजिटल डिवाइस या स्मार्टफोन से दूर होने पर उन्हें कुछ शारीरिक लक्षणों का अनुभव होगा जैसे कि पसीना आना, कांपना और दिल की धड़कन तेज होना। यदि आपने मोबाइल को अपने से दूर नहीं किया तो भविष्य में इसकी अधिकता आपको ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन हेमरेज का शिकार बना सकता है। शब्द, “नो-मोबाइल-फोन फोबिया” का एक संक्षिप्त नाम, यूके पोस्ट ऑफिस द्वारा 2008 के एक अध्ययन के दौरान गढ़ा गया था, जिसने यूके स्थित शोध संगठन YouGov को मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं द्वारा अनुभव की जाने वाली चिंताओं का मूल्यांकन करने के लिए नियुक्त किया था।
ऐसे पहचानें फोबिया के लक्षण
जब व्यक्ति के पास उसका मोबाइल नही होता और वो उसका इस्तेमाल नही कर पाता तो उसमें डर, चिंता और घबराहट की भावना पैदा होती है। वह मोबाइल इस्तेमाल नही कर पाता और इसके चलते वह चिंतित रहता है। ऐसे लोंग मोबाइल स्विच ऑफ करने में भी डरते है। बार-बार मोबाइल चेक करते है कि कहीं कोई कॉल, मैसेज या नोटिफिकेशन तो नही आया है। जहां जाते है, वहां मोबाइल साथ ले जाते है। मोबाइल पास में है कि नही यह जानें के लिए बार-बार पौकिट जांचते रहते है। इंटरनेट काम न करने पर उनके व्यवहार में चिड़चिड़ाहट देखी जा सकती है।
इसका उपचार
नोमोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति का उपचार मनोचिकित्सा तथा मस्तिष्क पर प्रभाव डालने वाली दवाओं दोनों से किया जा सकता है। इस समस्या के निदान के लिए संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार प्रविधि अधिक प्रचलित है। तनाव और चिंता को दूर करने के लिए माइंडफुलनेस और रिलैक्सेशन तकनीकों की प्रैक्टिस करें जैसे कि व्यायाम, हॉबीज या दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना. ऐसा करना, आपको अपने डिवाइस से डिस्कनेक्ट करने और उस पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है।