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घरेलू मसाले जो दर्द से राहत भी दिलायें

  • एलोपैथिक पेन किलर मेडिसिन के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं और किडनी पर भी इनका बुरा असर पड़ सकता है।

दुनिया भर के सेहत विज्ञानी इस बात पर एकमत हैं कि एलोपैथिक पेन किलर मेडिसिन के कई साइड इफेक्ट हो सकते हैं और किडनी पर भी इनका बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए जब तक बहुत जरूरी न हो इनका सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन कई बार हमारे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तरह-तरह के दर्द सताने लगते हैं जिनसे निजात पाना जरूरी हो जाता है। ऐसे में हम घरेलू मसालों और हर्ब का प्रयोग कर सकते हैं। कोलकाता के जेबी रॉय स्टेट आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के चिकित्सक डॉ. श्रीकांत पंडित ने बताए ये खास उपाय-

सौंफ

महिलाओं में पीरियड के दौरान पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों में दर्द होता है। इस दर्द से राहत के लिए सौंफ-मिश्री का पानी पीना लाभकारी होता है। रात भर सौंफ और मिश्री भिगोकर सुबह उसका पानी पीने से जलन और दर्द दोनों में राहत मिलती है। गैस की वजह से पेट में जलन या दर्द होने पर भी सौंफ का पानी फायदेमंद होता है। पेशाब में जलन या यूरिनरी ट्रैक्ट इनफेक्शन में आराम के लिए सौंफ, साबुत धनिया और परवल के पत्तों के चूर्ण का पानी खाली पेट पीना लाभकारी होता है।

सरसों

सरसों के दाने हर घर में होते हैं। हाथ, पैर, पेट या कमर में दर्द होने पर सरसों तेल गर्म करके उससे मालिश करने से आराम मिलता है। कहीं गुम चोट लगने पर वह हिस्सा फूल जाए तो एक साफ कपड़े में सरसों के दाने गर्म करके उसकी पोटली से सेक करना चाहिए। सरसों के दाने पीसकर उसका लेप करने से सभी तरह के दर्द में आराम मिलता है।

नमक

दांतों व मसूड़ों में दर्द, इन्फेक्शन आदि गर्म पानी में नमक मिलाकर नियमित कुल्ला करने से कम हो जाता है। गठिया वात का दर्द हो तो नमक गर्म करके उसकी पोटली बनाकर सेक करने से राहत मिलती है।

पिप्पली

गले में दर्द हो तो पिप्पली काफी फायदेमंद होती है। पीप्पली की छाल, काली मिर्च और तेजपत्ता गर्म करके चाय की तरह पिएं या गरारे करें तो इसका चमत्कारी असर देखने को मिलता है। स्वाद के लिए थोड़ा सा नमक और नींबू का रस भी मिला सकते हैं।

लौंग

दांत में दर्द हो तो लौंग हमेशा आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की पसंदीदा औषधि रही है। लौंग का तेल लगाने पर दर्द में हाथों-हाथ राहत मिलती है। मुंह में किसी प्रकार का घाव आदि हो तो उसमें लौंग का तेल फायदेमंद होता है।

जायफल

शरीर के किसी भी हिस्से में दर्द महसूस हो तो जायफल घिसकर उसका पेस्ट बनाएं। इसका लेप चोट के स्थान पर करें। आराम मिलेगा।

धनिया

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम, गैस, एसिडिटी जैसी समस्याओं से लगातार परेशान रहते हैं तो पिसा हुआ धनिया,जीरा और सेंधा या काला नमक मिलाकर पिएं। आराम मिलेगा। रात भर साबुत धनिया भिगोकर सुबह उसका पानी भी पी सकते हैं।

अजवाइन

पेट में एसिडिटी, गैस आदि समस्या होने पर अजवाइन का सेवन राहत कार्य होता है। लेकिन जिन लोगों के पेट में अल्सर हो उन्हें इसके सेवन से बचना चाहिए।

हल्दी

छोटी-मोटी चोट लग जाए तो हल्दी-चूने का लेप करने से आराम मिलता है। कच्ची हल्दी का रस छाछ में मिलाकर पीने से इरिटेबल बाउल सिंड्रोम में राहत महसूस होती है। दूध में हल्दी मिलाकर पीने से हाथ-पैरों के दर्द में भी आराम मिलता है।

लहसुन

वात रोगों में लहसुन का सेवन बेहद गुणकारी माना गया है। सरसों तेल, लहसुन ,पान, सूखी लाल मिर्च आदि अच्छी तरह गर्म करके जोड़ों पर लगाने से लाभ मिलता है। इसे लहसुन का तेल कहते हैं। रोज सुबह खाली पेट एक कली लहसुन खाने से शरीर में प्रदाह उत्पन्न करने वाले तत्व कम हो जाते हैं।

अदरक

घर में कच्ची, ताजा अदरक और सूखी यानी सौंठ दोनों तरह से इस्तेमाल करते हैं। माइग्रेन के दर्द में अदरक का रस फायदेमंद रहता है। माथे पर सोंठ के चूर्ण का लेप आरामदायक होता है। पेट में अल्सर हो तो कच्ची अदरक का सेवन फायदेमंद होता है इसके सेवन से हाजमा भी दुरुस्त होता है। गर्म पानी में सौंठ उबालकर पीने से रूमेटाइड आर्थराइटिस में राहत मिलती है। अदरक में एंटी इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं। गले का दर्द, खराश आदि में नमक ,नींबू ,अदरक का रस मिलाकर पीने से राहत मिलती है।

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