कभी-कभी छोटी चीजें भी बड़ा प्रभाव डालती हैं और सिगरेट बट्स इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं। अनुमान है कि हर साल करीब साढ़े चार लाख करोड़ सिगरेट बट्स को ऐसे ही खुले में फेंक दिया जाता है, जो स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी समस्या पैदा कर रहे हैं। समस्या तब पैदा होती है जब सिगरेट के इन टुकड़ों का ठीक से निपटान करने की जगह ऐसे ही खुले में फेंक दिया जाता है। वैश्विक स्तर पर देखें तो सिगरेट के यह टुकड़े दुनिया भर में सबसे ज्यादा फेंका जाने वाला कचरा है, जो न केवल जमीन बल्कि नदियों, झीलों और समुद्रों तक को दूषित कर रहा है। अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर फेंकें गए करीब 40 फीसदी सिगरेट बट्स नदियों और समुद्रों में मिल रहे हैं। यह जानकारी सिगरेट के कारण पैदा हो रहे कचरे और उसके प्रभावों को लेकर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूनेप) द्वारा जारी नई रिपोर्ट में सामने आई है।
रिसर्च से पता चला है कि एक सिगरेट बट करीब 40 लीटर पानी को दूषित कर सकता है। कूड़े की दर और एक सिगरेट बट के औसत वजन के आधार पर रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है कि सालाना साढ़े तीन लाख टन से अधिक प्लास्टिक तंबाकू फिल्टर वैश्विक जलमार्गों में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में यदि 15 वर्षों का हिसाब लगाएं तो करीब 53 लाख टन तक सिगरेट के टुकड़े हमारी जल धाराओं में मौजूद हो सकते हैं। देखा जाए तो नदियों समुद्रों पर पड़ता इनका प्रभाव प्लास्टिक प्रदूषण से कहीं ज्यादा है। अनुमान है कि जितनी मात्रा में यह सिगरेट के टुकड़े समुद्रों और नदियों में मिल रहे हैं वो हर साल (72 क्वाड्रिलियन) लीटर पानी को दूषित कर सकते हैं।
रिसर्च से पता चला है कि एक सिगरेट बट करीब 40 लीटर पानी को दूषित कर सकता है। कूड़े की दर और एक सिगरेट बट के औसत वजन के आधार पर रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है कि सालाना साढ़े तीन लाख टन से अधिक प्लास्टिक तंबाकू फिल्टर वैश्विक जलमार्गों में प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में यदि 15 वर्षों का हिसाब लगाएं तो करीब 53 लाख टन तक सिगरेट के टुकड़े हमारी जल धाराओं में मौजूद हो सकते हैं। देखा जाए तो नदियों समुद्रों पर पड़ता इनका प्रभाव प्लास्टिक प्रदूषण से कहीं ज्यादा है। अनुमान है कि जितनी मात्रा में यह सिगरेट के टुकड़े समुद्रों और नदियों में मिल रहे हैं वो हर साल (72 क्वाड्रिलियन) लीटर पानी को दूषित कर सकते हैं।