इस आधुनिक समय में नई नई खोज के साथ नई चीजें सामने आती हैं। इसी तरह एक रिसर्च में सामने आया कि हमारे दिमाग में दिमागी थकान दूर करने के लिए अलग सिस्टम काम करता है। सीधे अगर आपका दिमाग दिनभर के बाद थक जाता है तब एक नई स्टडी कहती है कि इस दिमागी थकान को दूर करने के लिए यह अपने अंदर के जहरीले पदार्थों की सफाई कर सकता है। यानि कि दिमाग में फ्लश सिस्टम के होने की संभावना पाई गई है। वहीं इस नई खोज में कहा गया है कि एक खास प्रकार का विजुअल इस तरह की उत्तेजना पैदा की जा सकती है जिससे दिमाग अपने अंदर जमा हुए कचरे को साफ कर सकता है।
एक रिसर्च के अनुसार, दिमाग में गंभीर न्यूरल एक्टिविटी को शुरू करके इसके डिस्पोजल सिस्टम को एक्टिवेट किया जा सकता है। यानि कि अगर दिमाग को ऐसा गंभीर उत्तेजक प्रभाव दिया जाए तो वह अपने आप ही वेस्ट मैटिरियल को फ्लश आउट कर देगा। इतना ही नही एक स्टडीज यह भी कहती है कि सोने के दौरान दिमाग अपने अंदर के वेस्ट मैटिरियल को बाहर निकाल देता है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि अब हैरान कर देने वाली बात ये सामने आई है कि यह जागते हुए इंसानों में भी काम कर सकता है। दिमाग में एक खास तरह के तरल पदार्थ का फ्लो पाया गया है जिसे सेरीब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड कहते हैं। आपको बता दें कि 2012 में इससे संबंधित एक खोज की गई थी। जिसमें पाया गया था कि दिमाग के डिस्पोजल सिस्टम के लिए यही फ्ल्यूड काम करता है जो कि दिमाग में भेजा जाता है और महीन ट्यूब्स में से होता हुआ पास होकर बाहर निकल जाता है। इसे ग्लिम्फैटिक सिस्टम का नाम दिया गया।
रिसर्च में कहा गया है कि यह फ्ल्यूड कुछ हानिकारक तत्वों को भी दिमाग से बाहर निकाल ले जाता है जो कि डिसॉर्डर जैसे चीजों के लिए कारण माने जाते हैं। इनमें बीटा अमायलॉयड और एल्फा साइन्यूक्लीन आदि का नाम शामिल है।
ऐसे किया गया टेस्ट
रिसर्च में 20 वालेंटियर शामिल किए गए जिनके सामने देखने के लिए एक स्क्रीन रखी गई। इन्हें एक ऐसा विजुअल पैटर्न दिखाया गया जिससे कि दिमाग पर भारी जोर पड़े।
पैटर्न को देखने के बाद इन लोगों के रक्त के प्रवाह में तेजी पाई गई। वहीं, स्क्रीन जब काली हो जाती थी तो ब्लड फ्लो फिर से कम हो जाता था और दिमाग में सेरीब्रोस्पाइनल फ्ल्यूड का प्रवाह बढ़ जाता था।