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Hyundai Motor India IPO के सफल न होने के कारण:
- OFS (Offer for Sale) का प्रभाव: यह IPO पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) था, जिसका मतलब है कि प्रमोटरों द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसे जुटाए जा रहे थे, न कि कंपनी के विस्तार के लिए फंड। निवेशकों को लगा कि कंपनी के विकास में कोई प्रत्यक्ष योगदान नहीं होगा, जिससे यह कम आकर्षक बना।
- उच्च मूल्यांकन: Hyundai के शेयर की कीमत ₹1,865-₹1,960 के बीच थी, जिसे बाजार में महंगा माना गया। विशेषज्ञों के अनुसार, इस मूल्यांकन में अन्य ऑटोमोबाइल कंपनियों की तुलना में Hyundai की शेयर की कीमत अधिक थी, जिससे निवेशकों को इसमें निवेश करना थोड़ा जोखिमपूर्ण लगा।
- इलेक्ट्रिक वाहनों में कमजोर उपस्थिति: वर्तमान में, इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन Hyundai की EV सेगमेंट में उपस्थिति उतनी मजबूत नहीं है जितनी कि अन्य प्रतिस्पर्धी कंपनियों की है। इससे दीर्घकालिक निवेशकों को कंपनी की ग्रोथ की संभावनाओं को लेकर संदेह हुआ।
- बड़े IPOs में मुनाफे की संभावना कम: विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े IPOs में, जैसे कि यह, लिस्टिंग के बाद तेजी से मुनाफा कमाना कठिन होता है। कई निवेशकों ने इस वजह से लिस्टिंग के बाद के मुनाफे पर संदेह जताया और इसे खरीदने से बचे।
- IPO का देरी से आना: Hyundai पिछले 25 वर्षों से भारतीय बाजार में है, लेकिन इतने वर्षों बाद IPO लाया गया, जिससे कंपनी ने बड़ी संपत्ति सृजन के अवसर खो दिए। इसका भी नकारात्मक प्रभाव निवेशकों के मन में रहा।
इन कारणों की वजह से Hyundai Motor India का IPO उम्मीद के अनुसार सफल नहीं हो पाया, और कई निवेशकों ने इसमें निवेश से परहेज किया।