इस समय चिल-चिलाती धूप और गर्मी ने लोगों का बुरा हाल कर रखा है लेकिन मौसम विभाग ने खुशखबर है कि अब जल्द ही आप को इस गर्मी से राहत मिलने वाली है। मौसम विभाग का कहना है कि रविवार को मानसून ने दक्षिण-पश्चिम मालदीव के कुछ हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण बंगाल की खाड़ी, निकोबार द्वीप समूह और दक्षिण अंडमान सागर के कुछ हिस्सों तक आगे बढ़ गया है। जिस कारण इस वर्ष के मानसून की 31 मई तक केरल पहुंचने की संभावना है। इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम के मानसून ने रविवार को देश के दक्षिणी क्षेत्र निकोबार द्वीप समूह पर दस्तक दे दी है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, पिछले 150 सालों से केरल के मानसून की शुरुआत की तारीख में व्यापक रूप से भिन्नताएं आ कहीं हैं केरल में सबसे पहले 1918 में 11 मई को मानसून आया और 18 जून 1972 में सबसे अधिक देरी से केरल में मानसून ने दसतक दी थी। मौसम विभाग के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून पिछले साल 2023 में 8 जून को, 2022 में 29 मई को, 2021 में 3 जून और 2020 में 1 जून को दक्षिणी राज्य में आया था।
इस समय देश का एक बड़ा हिस्सा प्रचंड गर्मी से जूझ रहा है और इस समय अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है, जिस कारण कई राज्यों में गर्मी ने रिकॉर्ड तोड़ दिया हैं जिस वजह से लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका पर गंभीर असर पड़ रहा है। इसके साख ही दक्षिणी भारत में अप्रैल को महीने में लू का प्रकोप भी देखने को मिला था। इस प्रचंड गर्मी के कारण बिजली ग्रिडों पर दबाव पड़ कहा है जिसकी वजह से जल निकाय भी सूख रहे हैं जिस कारण देश के कुछ हिस्सों में सूखे की समस्या पैदा हो रही है।
पिछले महीने, मौसम विभाग ने भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर के ठंडा होने, अनुकूल ला नीना स्थितियों, अगस्त-सितंबर तक आने की उम्मीद के साथ भारत में मानसून के मौसम में सामान्य से अधिक बारिश की भविष्यवाणी की थी। भारत के कृषि परिदृश्य के लिए मानसून जारूरी है क्योंकि भारत की 52 प्रतिशत शुद्ध खेती योग्य क्षेत्र मानसून पर निर्भर है। पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी मानसून महत्वपूर्ण हैं। यह देश भर में बिजली उत्पादन के लिए भी जरूरी है। जून और जुलाई को कृषि के लिए सबसे महत्वपूर्ण मानसून महीने माना जाता है, क्योंकि इस अवधि के दौरान खरीफ फसल की अधिकांश बुआई की जाती है।
By Shalini Chourasiya