भोपाल। विश्व सामाजिक न्याय दिवस हर साल 20 फरवरी को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, दुनिया दुर्भाग्यपूर्ण मुद्दों से त्रस्त है जो लाखों लोगों को एक निष्पक्ष जीवन जीने से रोकते हैं। दुनिया के कई लोग, बिना किसी गलती के, घर, नौकरी, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पोषण आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह सुनिश्चित करना विशेषाधिकार प्राप्त लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि हम एक ऐसी न्यायपूर्ण दुनिया बना सकें जहां सामाजिक न्याय एक आदर्श हो। इस मौके पर अधिवक्ता सीमा जायसवाल से चर्चा की गयी जिसमें उन्होंने महिलाओं के अधिकार और कानून के प्रति जागरूक किया।
सवाल – महिलाओं के लिए कौन-कौन से अधिकार और कानून है?
जवाब –दहेज निषेध अधिनियम, 1961 को दहेज प्रथा को रोकने और खत्म करने के लिए लाया गया। इसके तहत 2 सेक्शन हैं, जिसमें सेक्शन 3 और 4 आते हैं। इसमें सेक्शन 3 के अंतर्गत दहेज लेना या देना दोनों अपराध माना गया है। ऐसा करने पर अपराधी को 15 हजार रुपए के जुर्माने के साथ 5 साल तक की सजा सुनाई जा सकती है। जबकि सेक्शन 4 कहता है कि दहेज की मांग करने पर 6 महीने से 2 साल तक की सजा हो सकती है।
सवाल- यौन हिंसा से बचने के लिए महिलाओं के लिए कौन से कानून है?
जवाब –एक महिला को घर के भीतर होने वाली हिंसा से बचाने के लिए 2005 में ये कानून लाया गया था. इस कानून के दायरे में वो सभी महिलाएं आतीं हैं जो किसी साझे घर में मां, बहन, पत्नी, बेटी या विधवा हो सकती है. लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालीं महिलाएं को भी इसमें शामिल किया गया है। ये कानून महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, मौखिक, भावनात्मक, आर्थिक और यौन हिंसा से बचाता है।
सवाल – कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामले में कौन सा कानून है जो महिलाओं की मदद करता है?
जवाब –कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 ये अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013, में प्रभाव में आया था। जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है।
सवाल – महिलाओं की तस्करी रोकने के लिए कौन सा कानून है?
जवाब –अनैतिक दुर्व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 का उद्देश्य बुराइयों के व्यावसायीकरण और महिलाओं की तस्करी को रोकना है। यह यौन कार्य के आसपास के कानूनी ढाँचे को चित्रित करता है। हालाँकि यह अधिनियम स्वयं यौन कार्य को अवैध घोषित नहीं करता है, लेकिन यह वेश्यालय चलाने पर रोक लगाता है। वेश्यावृत्ति में संलग्न होना कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त है, लेकिन लोगों को लुभाना और उन्हें यौन गतिविधियों में शामिल करना अवैध माना जाता है।
सवाल – महिला आरक्षण विधेयक 2023 क्या है?
जवाब-यह विधेयक लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिये एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है। यह लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षित सीटों पर भी लागू होगा।
सवाल – क्या है ये एक्ट और क्यों बनाया गया है?
जवाब – ये भारत सरकार द्वारा बनाया गया कानून है, जिसमें बच्चों और नाबालिगों के साथ यौन-शोषण पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं बच्चों को यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ असरदार तरीके से बचाव करने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें बाल यौन-शोषण के वर्गीकरण के साथ आरोपितों को सजा के कड़े प्रावधानों की व्यवस्था है। पॉक्सो एक्ट का फुल फॉर्म है-(प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस)। जिसे यौन अपराधों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तौर पर भी जाना जाता है।
सवाल- महिला की गिरफ़्तारी को लेकर क्या कहता है क़ानून?
जवाब –मामला चाहे जो भी किसी भी महिला को शाम छह बजे के बाद और सुबह छह बजे के पहले गिरफ़्तार नहीं किया जा सकता। किसी महिला को केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही गिरफ्तार किया जा सकता है। केवल एक महिला पुलिस अधिकारी ही किसी महिला की शारीरिक तलाशी ले सकती है और उसे सख्त शालीनता बनाए रखनी होगी। इसी के साथ अगर किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार हुआ हो, पीड़ित महिला क़ो वह मुफ्त कानूनी सलाह पाने की अधिकार है। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत पीड़ित महिलाओं को मुफ्त कानूनी सेवा का मान्यता प्राप्त है।