दीपों के पर्व दीपावली के 11 दिन बाद देवउत्थान एकादशी मनाई जाती है। देवउठनी एकादशी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में यानी इस साल 23 नवंबर 2023 को मनाई जाएगी है। मान्यता है कि इस दिन श्री हरि विष्णु पांच महीने बाद अपनी निद्रा से जागते हैं। देव के उठने के बाद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं। इस दिन रात में शालिग्रामजी और तुलसी माता का विवाह होता है। इस दिन मंदिरों और घरों में देवताओं को जगाया जाता है और लक्ष्मी नारायण की पूजा की जाती है।
देवउठनी एकादशी को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में ख़ास मान्यताएं है। इस दिन पूजा स्थलों के पास चाक और गेरू से विशेष तरह की डिजाइन तथा दीवार पर भगवान का चित्र बनाकर उनके सामने थाली या सूप बजाकर और गीत गाकर देवताओं को जगाया जाता है। मान्यता है कि थाली या सूप बजाकर देवताओं को जगाने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
वहीँ, हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में देवउठनी एकादशी पर दिवाली जैसी रौनक देखने को मिलती है। यहां सुबह साफ-सफाई के बाद घरों में मीठी पूड़ी-दाल के पकौड़े बनाकर बांटे जाते हैं। जानवरों की पूजा की जाती है तथा दिन के अंत में घरों के अंदर और बाहर दीपक जलाए जाते हैं…वहीँ देव उत्थानी एकादशी के 15 दिन बाद देव दीपावली का पर्व मनाया जाता है।