यूपी के अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हो गई है। अब राजस्थान के पाली में प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी है। इस सृष्टि के रचियता कहे जाने वाले त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश को ‘ॐ’ (ओम) का प्रतीक माना जाता है। ओम का निराकार स्वरूप धरती पर पहली बार राजस्थान में साकार हुआ है। यहां भोलेनाथ का मंदिर ओम के आकार में 28 वर्षों से बन रहा था। मंदिर अब बनकर तैयार हो चुका है। अब प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार भी 19 फरवरी को खत्म होने वाला है।
राजस्थान के पाली जिले में जाडन गांव में शिलान्यास के करीब तीन दशक बाद ‘ओम आकार’ का भगवान शिव का मंदिर बनकर तैयार हो गया है। ओम के आकार में यह दुनिया का पहला शिव मंदिर होगा। ओम के आकार में बने शिव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का दिन और तारीख तय कर दी गई है। 19 फरवरी को इस भव्य शिव मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा होगी। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी समेत कई अन्य अतिथि भी शामिल होंगे।
50 एकड़ में फैले आश्रम के बीचों बीच मंदिर का निर्माण किया गया
भव्य व आकर्षक दिखने वाले मंदिर का शिलान्यास वर्ष 1995 में हुआ था। मंदिर के स्वामी महेश्वरानंद महाराज का दावा है कि पूरे भूमंडल पर ओम आकृति का यह पहला मंदिर है। जाडन के सचिव स्वामी फूलपुरी ने बताया कि विश्वदीप गुरुकुल में स्वामी महेश्वरानंद के आश्रम में ओम की आकृति वाले इस भव्य शिव मंदिर का निर्माण बीते 28 साल से जारी था। करीब 250 एकड़ में फैले आश्रम के बीचों-बीच इस मंदिर को बनाया गया है। ओम आकृति वाला यह शिव मंदिर चार खंडों में विभाजित है। एक पूरा खंड भूगर्भ में बना हुआ है। जबकि तीन खंड जमीन के ऊपर हैं। बीचों-बीच स्वामी माधवानंद की समाधि है। भूगर्भ में समाधि के चारों तरफ सप्त ऋषियों की मूर्तियां हैं।
नागर शैली स्थापत्य कला व वास्तु कला के आधार पर किया निर्माण
ओम आश्रम जाडन पाली का निर्माण उत्तर भारत की नागर शैली स्थापत्य कला व वास्तु कला के आधार पर किया गया है। करीब आधा किलोमीटर के दायरे में फैले ओम की आकृति के इस शिव मंदिर का निर्माण कार्य 1995 में शुरू हुआ था। उस वक्त शिलान्यास समारोह में देशभर से साधु संतों ने हिस्सा लिया था। इस ओम आश्रम में भगवान शिव की 1008 अलग-अलग प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। मंदिर परिसर में कुल 108 कक्ष हैं। इसका शिखर 135 फीट ऊंचा है। सबसे बीच में गुरु महाराज स्वामी माधवानंद की समाधि है। सबसे ऊपर वाले भाग में महादेव का शिवलिंग स्थापित है। शिवलिंग के ऊपर ब्रह्मांड की आकृति बनाई गई है। यहां माधवानंद योगा विश्वविद्यालय भी स्थापित किया गया है।