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शिवाजी ने आत्म स्वाभिमान भूले समाज को चैतन्य किया : दत्तात्रेय

इंदौर में डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में व्याख्यान माला का आयोजन

इंदौर/भोपाल। जिस तरह श्रीराम ने धरती को राक्षसहीन करने का संकल्प लिया, श्रीकृष्ण जी ने धर्म संस्थापना का कार्य किया, उसी तरह शिवाजी महाराज हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना के लिए अवतारी पुरुष थे। छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की घटना ऐतिहासिक घटना थी, मोहम्मद कासिम से प्रारंभ हुए विदेशी आक्रमण सतत चलते रहें। पृथ्वीराज चौहान ने उन आक्रमणों का प्रतिरोध किया, किंतु पृथ्वीराज चौहान के पश्चात भारतीयों को लगने लगा कि वे केवल पराधीन होने के लिए ही है, सम्पूर्ण समाज में निराशा थी।

वहीं शिवाजी महाराज ने आत्म स्वाभिमान भूले समाज को चैतन्य किया है। यह बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने इंदौर में रविवार को डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान माला ‘चिंतन-यज्ञÓ के दूसरे दिन मुख्य वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन में कही हैं।

संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा, भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज एक ऐसे अपराजिता योद्धा थे, जिन्होंने  ‘हिन्दवी-स्वराज्य’ की पुनस्र्थापना कर स्वदेशी व स्वधर्म आधारित लोक कल्याणकारी शासन तंत्र का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के अमृतकाल में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का संदेश वर्तमान में भी अतिप्रासंगिक व अनुकरणीय प्रतीत होता है।

शिवाजी विदेशी सत्ता समाप्त करने राजा हुए

‘शिव राज्याभिषेक का संदेश’ पर अपना वक्तव्य देते हुए श्री होसबाले ने कहा कि मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवबा, रोहिडेश्वर के शिव मंदिर में अपनी अंगुली के रक्त से भगवान का अभिषेक कर ‘हिंदवी स्वराजÓ की स्थापना का संकल्प लिया। औरंगजेब द्वारा मंदिरों का विध्वंस, सामान्य नागरिकों को पीड़ा पहुंचाने पर भी शिवाजी उद्वेलित नहीं होते बल्कि औरंगजेब के अपने पालें में आने की प्रतीक्षा करते हैं। उन्होंने कहा, शिवाजी महाराज को लेखकों ने भगवान विष्णु की तरह जन प्रतिपालक कहा है।

वहीं, शिवाजी महाराज के मन में सम्राट बनने की इच्छा नहीं थी, किंतु विदेशी सत्ता को समाप्त करने के लिए वे राजा हुए, उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गई, क्योंकि वे सम्पूर्ण समाज के लिए छत्र के समान है। शिवाजी ने आत्म स्वाभिमान भूले समाज को चैतन्य किया है।

आदर्श व्यवस्था शुरू की

श्री होसबोले ने अपने व्याख्यान में शिवाजी के जीवन के विभिन्न घटनाओं-पहलुओं को विश्लेषणात्मक रूप से प्रस्तुत करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज ने जल सिंचन की व्यवस्था, नौकायन, भूमि की नाप, मुद्रा, कर, मंत्रिमंडल जैसी आदर्श व्यवस्था अपने शासनकाल में प्रारंभ की।

कार्यक्रम के अध्यक्ष उद्योगपति व समाजसेवी प्रकाश केमकर ने कहा छत्रपति शिवाजी पर अनेक ग्रंथ लिखे गये जो आज भी प्रेरणास्पद हैं। मेडीकेप्स विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिलीप पटनायक की विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रही। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज का चिंतन वर्तमान में भी प्रासंगिक है।

मालवा के बलिदान पर दिखाई फिल्म

कार्यक्रम के प्रारंभ में मालवा के बलिदानी शॉर्ट फिल्म का प्रदर्शन किया गया। इस फिल्म में देश की स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वालें महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन के जीवन परिचय का चित्रण किया गया। कार्यक्रम में विषय प्रस्तावना रखते हुए विनय पिंगले ने बताया कि अपने स्व का गौरव विस्मृत होने से राष्ट्र की प्रगति अवरुद्ध हो जाती है। हमारा प्रयास है कि भारत का गौरव उसके यथार्थ रूप में नागरिकों के समक्ष आए। आयोजन में डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति के अध्यक्ष ईश्वर हिन्दुजा की उपस्थिति रहीं। सुजीत सिंहल ने समिति की ओर से आभार व्यक्त किया है।

Shivaji awakened a society that had forgotten its self-respect: Dattatreya.

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