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प्रधानमंत्री मोदी ने द.कोरियाई राष्ट्रपति और वियतनामी समकक्ष से व्यापार और रक्षा क्षेत्र पर की चर्चा

  • द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने को लेकर भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
  • भारत की जी20 अध्यक्षता तथा दक्षिण कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति पर भी चर्चा की।
  • ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ सार्थक द्विपक्षीय वार्ता की।
  • भारत और कोरिया गणराज्य के बीच गहरी मित्रता तथा गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं।
    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल और वियतनाम के अपने समकक्ष फाम मिन्ह चिन्ह के साथ सार्थक द्विपक्षीय वार्ता की। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और दोनों नेता व्यापार एवं निवेश, सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर निर्माण तथा रक्षा जैसे क्षेत्रों में संबंध गहरे करने पर सहमत हुए तथा उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने को लेकर भी अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। दोनों नेताओं ने भारत की जी20 अध्यक्षता तथा दक्षिण कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति पर भी चर्चा की। हिरोशिमा में ‘ग्रुप ऑफ सेवन’ (जी7) के शिखर सम्मेलन से इतर दोनों नेताओं ने मुलाकात की। विदेश मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल के साथ सार्थक द्विपक्षीय वार्ता की। भारत और कोरिया गणराज्य के बीच गहरी मित्रता तथा गहरे सांस्कृतिक संबंध हैं। आज की बातचीत प्रमुख विकासात्मक क्षेत्रों में इस दोस्ती को और मजबूत करने के तरीकों पर केंद्रित है।” मंत्रालय ने ट्वीट किया, ‘‘विशेष सामरिक भागीदारी को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति यून सुक येओल से मुलाकात की।” दोनों नेताओं ने बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। दोनों देश इस साल राजनयिक संबंधों के 50 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार वे व्यापार एवं निवेश, उच्च प्रौद्योगिकी, आईटी हार्डवेयर निर्माण, रक्षा, अर्धचालक और संस्कृति के क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने पर सहमत हुए। बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने भारत की जी20 अध्यक्षता और दक्षिण कोरिया की हिंद-प्रशांत रणनीति पर भी चर्चा की। भारत, अमेरिका और कई अन्य वैश्विक शक्तियां क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य दखलअंदाजी के मद्देनजर एक स्वतंत्र, मुक्त और संपन्न हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे में लंबे अरसे से बात कर रही हैं। चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे क्षेत्र पर दावा करता है। इस क्षेत्र में उसका ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सहित कई अन्य देशों के साथ विवाद है। चीन ने दक्षिण चीन सागर में कई कृत्रिम द्वीपों और सैन्य अड्डों का निर्माण भी किया है। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर जी7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को हिरोशिमा पहुंचे थे। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी और वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह के बीच व्यापक चर्चा हुई।” मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों नेताओं ने व्यापार, निवेश, रक्षा, लचीली आपूर्ति शृंखलाएं बनाने, ऊर्जा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास, संस्कृति तथा लोगों के बीच परस्पर संबंधों के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।” उसने कहा कि दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (आसियान) और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के साथ ही क्षेत्रीय घटनाक्रम पर भी चर्चा की गई। आसियान देशों में ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम शामिल हैं। अमेरिका, भारत और दुनिया के कई अन्य देश संसाधन संपन्न हिंद-प्रशांत में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति की पृष्ठभूमि में इस क्षेत्र को मुक्त और खुला बनाने की आवश्यकता के बारे में बात कर रहे हैं। चीन, दक्षिण चीन सागर के लगभग सभी हिस्सों पर अपना दावा जताता है, जबकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके हिस्सों पर दावा जताते हैं। जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के निमंत्रण पर मोदी जी7 शिखर सम्मेलन के तीन सत्रों में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को हिरोशिमा पहुंचे थे।
    पाकिस्‍तान के साथ सामान्‍य रिश्‍ते चाहता है भारत
    प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया है कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते। उन्होंने कहा कि भारत लगातार सीमा पार आतंकवाद को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करता रहा है। इंटरव्यू में पीएम मोदी ने भारत और चीन संबंधों से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांती जरूरी है। भारत-चीन संबंधों का भविष्य आपसी सम्मान, संवेदनशीलता और आपसी हितों पर ही आधारित हो सकता है। रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की भूमिका के सवाल पर PM मोदी ने कहा कि यूक्रेन विवाद पर उनके देश की स्थिति स्पष्ट और अटूट है। उन्होंने कहा कि भारत हमेशा से शांति के पक्ष में खड़ा है और दृढ़ता से खड़ा रहेगा।

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