प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच पांच साल बाद द्विपक्षीय बातचीत हुई, जो करीब 50 मिनट तक चली। इस चर्चा को क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
1. आपसी विश्वास और सम्मान पर जोर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक के दौरान साफ तौर पर कहा कि भारत-चीन संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आपसी विश्वास और सम्मान को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्थायी और सकारात्मक संबंधों के लिए दोनों देशों को एक-दूसरे के हितों का सम्मान करना होगा।
2. सीमा विवाद और सुरक्षा मुद्दे बने चर्चा का केंद्र
इस मुलाकात में लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में सीमा विवाद जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। दोनों नेताओं ने सीमा पर तनाव कम करने और शांति बनाए रखने के लिए आपसी संवाद और सहयोग पर जोर दिया।
3. वित्तीय और व्यापार संबंधों को भी उठाया गया
मोदी-जिनपिंग की बैठक में सिर्फ सीमा विवाद ही नहीं, बल्कि व्यापारिक संबंधों को भी सुधारने पर बातचीत हुई। दोनों देशों के बीच व्यापारिक असंतुलन और निवेश को लेकर भी महत्वपूर्ण चर्चा हुई।
4. गलवान घटना के बाद पहली बड़ी मुलाकात
यह बैठक गलवान घाटी में 2020 में हुए सैन्य संघर्ष के बाद दोनों देशों के नेताओं की पहली महत्वपूर्ण मुलाकात थी। इस घटना ने भारत-चीन संबंधों में बड़ा तनाव पैदा किया था, और तब से लेकर अब तक रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं।
5. आगे की रणनीति पर चर्चा
बैठक के अंत में, दोनों नेताओं ने आपसी मुद्दों को सुलझाने और भविष्य में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।