पाकिस्तान में पांच दिन बाद आम चुनाव होने हैं। लेकिन, उससे पहले अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के ज्यादातर लोगों को लगता है कि उन्हें दक्षिणी सिंध प्रांत में चुनाव की प्रक्रिया से बाहर किया गया है। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में हिंदू आबादी कुल 2।1 फीसदी है। इसमें से नौ फीसदी सिंध प्रांत में रहते हैं। जहां उनकी सबसे बड़ी आबादी है। देश के संविधान के तहत कौमी असेंबली (संसद का निचला सदन) में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों के लिए दस सीटें और प्रांतीय विधानसभा में 24 सीटें आरक्षित हैं। हिंदू समुदाय के नेताओं और सदस्यों का आरोप है कि उन्हें उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है और समुदाय के कई लोग मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना होता है पाकिस्तान हिंदू परिषद के मुख्य संरक्षक रमेश कुमार वांकवानी ने कहा, हिंदू समुदाय, खासकर वे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से हैं या सिंध के दूरदराज के गांवों में रहते हैं, वे चुनाव प्रक्रिया से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, चुनावों से पहले हुई राष्ट्रीय जनगणना में हिंदुओं की गणना पूरी तरह से नहीं की गई। हम नेशनल डेटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (एनएडीआरए) और पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) की ओर से जारी सूची से सहमत नहीं है। मतदाताओं को एनएडीआरए और ईसीपी में मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना होता है।
हिंदू समुदाय के सदस्यों का दावा
कानून के मुताबिक, नागरिक को राज्य का होना चाहिए और उसे अपने मताधिकार का इस्तेमाल करने से पहले ईसीपी में एक मतदाता के रूप में पंजीकृत होना होगा। लेकिन, सिंध में रहने वाले सबसे बड़े अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के सदस्यों का दावा है कि उनकी आबादी की तुलना में कुछ लोग ही अपने पहचान दस्तावेज के कारण मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं।
पहचान दस्तावेजों में विसंगतियां
मीरपुर खास के स्थानीय हिंदू समुदाय के नेता शिवा काची ने कहा, हिंदुओं की संख्या सही नहीं है और बहुत से लोग दूरदराज के इलाकों में रहते हैं और पढ़े-लिखे नहीं हैं। इसलिए उनके पहचान दस्तावेजों में विसंगतियां हैं। जिसका मतलब है कि वे मतदाता के रूप में पंजीकृत नहीं हैं। साल 2018 में जब आम चुनाव हुए थे, तो करीब 10.59 करोड़ मतदातों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया। कुल 36.26 लाख मतदाता अल्पसंख्यक समुदायों से थे। काची ने कहा, हकीकत में हिंदू पाकिस्तान का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है। जिनकी कुल संख्या लगभग 47.7 लाख है। लेकिन आधिकारिक तौर पर केवल 17.77 लाख मतदाता ही पंजीकृत हैं। ईसाई समुदाय 16.39 लाख मतदाताओं के साथ दूसरे स्थान पर है। अहमदियों के पास 1,65,369 मतदाता थे, जबकि सिखों के पास 8,833 मतदाता थे।