इंटरनेट ने सूचना और प्राद्यौगिकी की दुनिया में क्रांति ला दी है, वर्तमान दौर में हम महज एक क्लिक में लगभग किसी भी विषय पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसकी पहुँच अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। आजकल बहुत से लोग अपनी बीमारियों के निदान के लिए ऑनलाइन संसाधनों की ओर रुख करते हैं। हालाँकि, एक बढ़ती हुई चिंता यह है कि इसका उल्टा असर होने की संभावना भी है, जिससे “इडियट सिंड्रोम” नाम दिया गया है।
IDIOT, जिसका अर्थ है “इंटरनेट व्युत्पन्न सूचना बाधा उपचार”(Internet Derived Information Obstruction Treatment) एक ऐसी स्थिति है जहां आसानी से उपलब्ध ऑनलाइन जानकारी उचित चिकित्सा देखभाल में बाधा डालती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के जर्नल क्यूरियस में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया, IDIOT वाले मरीज़ अक्सर इंटरनेट खोजों के आधार पर स्व-निदान करते हैं, जिससे वे या तो निर्धारित उपचारों की उपेक्षा करते हैं या संभावित हानिकारक परिणामों के साथ स्वयं-चिकित्सा करते हैं।
हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि इंटरनेट एक सहायक स्वास्थ्य सेवा उपकरण नहीं है। सूचना प्राद्यौगिकी के दौर में विश्वसनीय चिकित्सा वेबसाइटें और ऑनलाइन सहायता समूह बहुमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं लेकिन इन सबके बीच कई बार इससे विपरीत भी होता है जब व्यक्ति कुछ लक्षणों के आधार पर खुद को गंभीर बीमारी से पीड़ित समझ लेता है।
डब्ल्यूएचओ ने इसे ‘इन्फोडेमिक’ नाम दिया है जिससे हम स्वास्थ्य सम्बन्धी एक जटिल स्थिति पैदा कर लेते है। दरअसल, जब हमें कोई बीमारी होती है तो उस दौरान इंटरनेट के माध्यम से बहुत अधिक जानकारी ले लेते है और स्वास्थ्य को लेकर अधिक चिंतित हो जाते है जिससे कई बार तनाव की स्थिति बन जाती है।