161
- आदित्य-एल1को सुबह 11.50 बजे सफलता से लॉन्च कर दिया गया.
- पीएसएलवी आदित्य-एल1 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देगा.
बेंगलुरु. इसरो आज भारत के पहले सोलर मिशन आदित्य-एल1को सुबह 11.50 बजे सफलता से लॉन्च कर दिया गया. पीएसएलवी-सी57 रॉकेट से आदित्य-एल1 को लॉन्च किया गया. पीएसएलवी आदित्य-एल1 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देगा. जहां से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान अपने लिक्विड एपोजी मोटर्स के शक्तिशाली इंजनों का उपयोग करके कई बार अपनी कक्षा को बढ़ाएगा. जो इसे आदित्य-एल1 को अपने गंतव्य तक- लगभग 15 लाख किमी. दूर लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे. यह पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का 1/100वां हिस्सा है. इसरो के मुताबिक सूर्य और पृथ्वी के बीच पांच लैग्रेन्जियन प्वाइंट हैं. एल1 बिंदु सूर्य को लगातार देखने के लिए एक बड़ा लाभ प्रदान करेगा. इसरो ने कहा कि सूर्य धरती का सबसे निकटतम तारा है और इसलिए अन्य की तुलना में इसका अधिक विस्तार से अध्ययन किया जा सकता है. इसरो ने कहा कि आकाशगंगा और अन्य आकाशगंगाओं के तारों के बारे में सूर्य के बारे में और भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है. सूर्य में कई विस्फोटक घटनाएं होती हैं और यह सौर मंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है. अगर ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर बढ़ती हैं, तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष के वातावरण में कई तरह की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं. इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियां ऐसी गड़बड़ी से खराब हो जाते हैं. इसलिए इस तरह की घटनाओं की पूर्व चेतावनी मिलने से पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए समय मिल सकता है. इस बार भी इसरो के पीएसएलवी के अधिक शक्तिशाली वेरिएंट ‘एक्सएल’ का उपयोग किया है जो आज सात पेलोड के साथ अंतरिक्ष यान को ले जाएगा. इसी तरह के पीएसएलवी-एक्सएल वेरिएंट का इस्तेमाल 2008 में चंद्रयान-1 मिशन और 2013 में मार्स ऑर्बिटर मिशन में किया गया था. सोलर मिशन के कुल सात पेलोड में से अंतरिक्ष यान पर चार सीधे सूर्य को देखेंगे जबकि शेष तीन एल 1 बिंदु पर कणों और इलाके का अध्ययन करेंगे.