- 665 सेकंड की अवधि के लिए किया गया हाट परीक्षण।
- 97 प्रतिशत कच्चे माल की बचत करता है नया इंजन।
बेंगलुरु। इसरो ने लिक्विड राकेट इंजन का सफल परीक्षण कर कीतिर्मान रचा है। इस इंजन को अत्याधुनिक एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (एएम) तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जिसे आम बोलचाल में 3 डी प्रिंटिंग के रूप में भी जाना जाता है।
इसे इसरो के लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) द्वारा विकसित किया गया है। एलपीएससी ने इंजन को फिर से डिजाइन किया, जिससे यह एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (डीएफएएम) के डिजाइन के अनुकूल हो गया।
पीएसएलवी के ऊपरी चरण का है यह इंजन
इसरो प्रोपल्शन कांप्लैक्स, महेंद्रगिरि में नौ मई को 665 सेकंड की अवधि के लिए एएम तकनीक के माध्यम से निर्मित लिक्विड राकेट इंजन के सफल हाट परीक्षण किया गया। यह इंजन पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) के ऊपरी चरण का पीएस4 इंजन है। पीएसएलवी चार चरणों वाला राकेट होता है। पीएसएलवी के चौथे चरण के लिए पारंपरिक पीएस4 इंजन का उपयोग किया जा जाता है।
पारंपरिक निर्माण प्रक्रिया के लिए 565 किलोग्राम फोर्जिंग और शीट की तुलना में इस इंजन में केवल 13.7 किलोग्राम मेटल पाउडर का इस्तेमाल हुआ। कुल उत्पादन समय में 60 प्रतिशत की कमी आई। इंजन का निर्माण भारतीय उद्योग (मैसर्स विप्रो 3डी) में किया गया।
इसरो की कमर्शियल विंग न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) ने शुक्रवार को सार्वजनिक-निजी भागीदारी या पीपीपी मोड में हेवी लिफ्ट रॉकेट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम3) विकसित करने के लिए उद्योग जगत के भागीदारों को आमंत्रित किया। भारी उपग्रहों को लांच करने की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एनएसआइएल प्रति वर्ष दो राकेटों की मौजूदा क्षमता के मुकाबले हर साल चार-छह एलवीएम 3 श्रेणी के राकेट का उत्पादन करना चाहता है।
14 साल की अवधि के लिए होगा पीपीपी
एनएसआइएल ने बयान में कहा कि एनएसआइएल ने संभावित बोलीदाताओं से रिक्वेस्ट फार क्वालिफिकेशन (आरएफक्यू) जारी किया है। एनएसआइएल ने कहा कि वह 10 से 15 वर्षों की अवधि में बड़ी संख्या में एलवीएम3 का उत्पादन करने के लिए पीपीपी ढांचे के माध्यम से भारतीय उद्योग के साथ साझेदारी के विकल्प तलाश रहा है। पीपीपी 14 साल की अवधि के लिए होगा।
प्रस्तावित अवधि के दौरान लगभग 60 से 65 राकेट के निर्माण का अनुमान है। एलवीएम3 के पास सात सफल प्रक्षेपणों का ट्रैक रिकार्ड है। इस राकेट ने श्रीहरिकोटा से दो मिशनों में वनवेब के 72 उपग्रहों को स्थापित करके वैश्विक कमर्शियल लॉन्चिंग लचग बाजार में शुरुआत की थी।