अडाणी-हिंडनबर्ग मामले की सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। इस दौरान भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि 2016 से अडाणी ग्रुप की जांच के सभी दावे तथ्यात्मक रूप से निराधार (फैक्चुअली बेसलेस) हैं। यानी सीधे तौर पर सेबी ने कहा है कि वो इससे संबधित कोई जांच नही कर रही। जबकि वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर इस मामले में कहा है कि केंद्र सरकार ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा में जो जवाब दिया था वो उसपर अभी भी कायम है।
ट्वीट में वित्त मंत्रालय ने बताया कि ये जवाब सभी सम्बंधित विभागों से मिले इनपुट के बाद दिया गया था। वित्त मंत्रालय ने कांग्रेस के महासचिव और संचार विभाग के प्रमुख जयराम रमेश के ट्वीट के जवाब में ये बातें कही है।
जयराम रमेश ने क्या कहा –
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने 19 जुलाई 2021 को लोकसभा को बताया कि अडानी समूह की जांच सेबी कर रहा है। अब सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वे अडानी पर लगे किसी भी गंभीर आरोप की जांच नहीं कर रहे हैं! क्या बुरा है-संसद को गुमराह करना, या अपतटीय शेल कंपनियों का उपयोग करके कथित मनी-लॉन्ड्रिंग और राउंड-ट्रिपिंग द्वारा लाखों निवेशकों को ठगे जाने के कारण गहरी नींद में सो जाना?
या इससे भी बदतर, क्या ऊपर से कोई रोकने वाला हाथ था? जांच का समयपूर्व निष्कर्ष न्याय के हित में नहीं होगा
मामले में अगली सुनवाई 16 मई को
हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों पर अडाणी ग्रुप की कंपनियों की जांच के लिए समय बढ़ाने की सेबी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई नहीं हुई। CJI ने कहा कि बाकी मैटर कल और बाद में सुनेंगे। इसके अलावा इस मामले में कोर्ट की तरफ से टिप्पणी नही हुई।