116
- चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
- जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए जल्द विधानसभा चुनाव करवाए जाने की मांग की गई थी।
नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिना किसी देरी के विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। वहीं, सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर में इंटरनेट बंद वाली याचिका भी खारिज कर दी है। सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में बिना किसी देरी के विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी। अदलात का कहना है कि अनुच्छेद 370 से संबंधित मामला 11 जुलाई को सूचीबद्ध है और वे इसके बाद ही इस याचिका पर सुनवाई करेंगे। बता दें, हर्षदेव सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिसमें जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने के लिए जल्द विधानसभा चुनाव करवाए जाने की मांग की गई थी। उन्होंने कहा था कि लोगों को लंबे समय तक लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में चुनी हुई सरकार का बनना जरूरी है जो मुद्दों के समाधान के लिए काम करे।
मणिपुर में बार-बार इंटरनेट बंद करने के खिलाफ याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जातीय हिंसा से प्रभावित राज्य में बार-बार इंटरनेट बंद करने के खिलाफ मणिपुर के दो निवासियों की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उन्हें इस मामले पर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की आजादी दी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि मणिपुर उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के पास पहले से ही यह मामला है, जिसमें एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया था और यह जांच करने का निर्देश दिया गया था कि क्या राज्य में इंटरनेट बहाल किया जा सकता है। शीर्ष अदालत चोंगथम विक्टर सिंह और मायेंगबाम जेम्स द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि मामला मणिपुर में इंटरनेट प्रतिबंध से संबंधित है। फरासत ने लंबित मामले को वापस लेने और उसमें हस्तक्षेप करने या उच्च न्यायालय के समक्ष एक स्वतंत्र याचिका दायर करने की अनुमति मांगी है। इस पर पीठ ने कहा कि हम सभी अधिकारों और विवादों को खुला रखते हुए उन्हें ऐसा करने की अनुमति देते हैं।