भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा लागू की गई लाड़ली बहना योजना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश सरकार की जनहितैषी और गरीब कल्याण की योजनाओं के कारण प्रदेश की जनता ने भाजपा को ऐतिहासिक आशीर्वाद प्रदान किया है। भाजपा को 163 विधानसभा सीटों पर शानदार जीत मिली है, जबकि सत्ता में आने के लिए प्रयासरत भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को मात्र 66 सीटों पर जीत कर संतोष करना पड़ा है। 230 विधानसभा सीटों वाले प्रदेश में मात्र एक सीट अन्य दल को मिल सकी है। ऐसे में मध्यप्रदेश में द्विदलीय व्यवस्था को ही स्वीकार किया है। यहां किसी अन्य दल को लेकर मतदाताओं में उत्साह बिल्कुल नजर नहीं आ रहा।
अब मुख्यमंत्री पद को लेकर दिल्ली दौड़ शुरू हो चुकी है। इसी बीच मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले संभावित चेहरों को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। ज्ञात हो कि गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, कृषि मंत्री कमल पटेल, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया और सहकारिता मंत्री डॉ. अरविंद सिंह भदौरिया जैसे दिग्गज मंत्री विधानसभा का चुनाव हार गए हैं।
कई वरिष्ठ और नए चेहरे होंगे मंत्रिमंडल में
शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के एक दर्जन मंत्री चुनाव हार चुके हैं। जिन मंत्रियों के चुनाव हारने के बाद मंत्रिमंडल में नए लोगों को शामिल किया जाएगा उनमें कई वरिष्ठ और पूर्व में मंत्री रह चुके पार्टी नेताओं का नाम तेजी से चर्चा में आ रहा है। भाजपा सूत्रों की मानें तो केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को भी मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में शामिल करके उसे और अधिक वजनदान बनाया जा सकता है। वहीं पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर आने वालों की संख्या भी अच्छी खासी है। पहली बार विधानसभा का चुनाव जीतकर आने वालों में जबलपुर सांसद राकेश सिंह, सीधी सांसद रीति पाठक जैसे नाम भी शामिल हैं।
वहीं भोपाल से लगातार तीन बार विधायक बने हुजूर से रामेश्वर शर्मा और बैरसिया से विष्णु खत्री में रामेश्वर शर्मा या खत्री को मंत्री बनाया जा सकता है। तीन बार की महिला विधायक और भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर ओबीसी मोर्चा में दायित्व निभा रहीं कृष्णा गौर भी मंत्री बनाई जा सकती हैं। इसी तरह से इंदौर से रिकार्ड मतों से जीत दर्ज करने वाले रमेश मेंदोला भी मंत्री बनने वालों की दौड़ में शामिल हैं।
क्षेत्रीय, जातीय संतुलन भी देखा जाएगा
इस बार का मध्यप्रदेश का मंत्रिमंडल छह माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव को देखकर बहुत सधा हुआ बनाए जाने की संभावना है। ऐसे में मालवा-निमाड़, विंध्य, महाकौशल, मध्यभारत और बुंदेलखंड को समुचित प्रतिनिधित्व दिए जाने की चर्चा है। ग्वालियर को इस बार भी अधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है, क्योंकि यहां सिंधिया समर्थक जीते हुए विधयकों को मंत्री बनाया जाएगा। हालांकि लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सभी जातियों, क्षेत्रों और पार्टी क्षत्रपों को साधकर चलने की रणनीति के तहत ही मंत्रिमंडल के गठन को मंजूरी देगी।
हालांकि मंत्रिमंडल से पहले मुख्यमंत्री पद को लेकर हलचल तेज है। जिन केंद्रीय मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं को मंत्री बनाए जाने की संभावना जताई जा रही है, उनमें कई मुख्यमंत्री पद के भी दावेदार बताए जा रहे हैं। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ही बनाए जाने की संभावना सबसे अधिक दिखाई दे रही है।
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