उत्तराखंड सरकार ने गुरुवार (16 मई) को उत्तराखंड में भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए 31 मई तक ‘चार धामों’ (चार तीर्थस्थलों) – केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री में वीआईपी दर्शन की अनुमति नहीं देने का फैसला किया।
मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया, 31 मई (शुक्रवार) तक चार धामों में अति महत्वपूर्ण व्यक्ति (वीआईपी) दर्शन की कोई व्यवस्था नहीं होगी और हरिद्वार और ऋषिकेश में ऑफ़लाइन पंजीकरण 19 मई (रविवार) तक बंद रहेगा।
सोशल मीडिया के लिए रील बनाने पर प्रतिबंध
उन्होंने कहा कि मंदिरों के 50 मीटर के दायरे में वीडियोग्राफी और सोशल मीडिया रील बनाने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। रतूड़ी ने कहा कि कुछ तीर्थयात्रियों द्वारा मंदिरों के परिसर में वीडियोग्राफी की जा रही है और रील बनाई जा रही है, जिसके कारण लोग एक स्थान पर इकट्ठा होते हैं, जिससे असुविधा होती है।
चार धाम यात्रा
आपको बता दें, चार धाम यात्रा 10 मई (शुक्रवार) को शुरू हुई। तीर्थयात्रा के पहले छह दिनों में, बुधवार तक, भारत और विदेश से कम से कम 3,34,732 लोग पूजा-अर्चना करने के लिए मंदिरों में जा चुके हैं। यात्रा के लिए पंजीकरण 25 अप्रैल से शुरू हुआ था और गुरुवार शाम तक 27 लाख से अधिक श्रद्धालु इसके लिए पंजीकरण करा चुके थे।
चार धाम यात्रा हिंदू धर्म में गहरा आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह यात्रा आम तौर पर अप्रैल-मई से अक्टूबर-नवंबर तक होती है। ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा को दक्षिणावर्त दिशा में पूरा करना चाहिए। इसलिए, तीर्थयात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, गंगोत्री की ओर बढ़ती है, केदारनाथ तक जाती है और अंत में बद्रीनाथ पर समाप्त होती है। यात्रा सड़क या हवाई मार्ग से पूरी की जा सकती है (हेलीकॉप्टर सेवाएं उपलब्ध हैं)। चार धाम यात्रा, या तीर्थयात्रा, चार पवित्र स्थलों- यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा है। हिंदी में, ‘चर’ का अर्थ है चार और ‘धाम’ का अर्थ धार्मिक स्थलों से है।