केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस बात पर जोर दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा और केंद्र देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करने के संप्रभु अधिकार से कोई समझौता नहीं करेगा। बता दें, अमित शाह ने 2019 के लोकसभा चुनाव घोषणापत्र में अपने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सीएए के नियमों को अधिसूचित करने के कुछ दिनों बाद विपक्ष पर निशाना साधते हुए यह बात बोली।
मीडिया को दिए इंटरव्यू में ने कहा कि कानून को रद्द करना असंभव है और सरकार इसके बारे में जनता के बीच जागरुकता फैलाएगी। विपक्षी इंडिया गुट के बारे में पूछे जाने पर, विशेष रूप से एक कांग्रेस नेता ने कहा कि वे सत्ता में आने पर कानून को रद्द कर देंगे, गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष भी जानता है कि उसके सत्ता में आने की संभावना कम है।
मीडिया यहां तक कि INDI गठबंधन भी जानता है कि वह सत्ता में नहीं आएगा। CAA बीजेपी पार्टी द्वारा लाया गया है, और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे लेकर आई है। इसे रद्द करना असंभव है। हम इसके बारे में पूरे देश में जागरूकता फैलाएंगे ताकि जो लोग इसे रद्द करना चाहते हैं उन्हें जगह न मिले।
अमित शाह पर असंवैधानिक आरोप
शाह ने कहा ‘सीएए असंवैधानिक’ होने की आलोचना को खारिज करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि यह कानून संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं करता है। वे हमेशा अनुच्छेद 14 के बारे में बात करते हैं। वे भूल जाते हैं कि उस अनुच्छेद में दो खंड हैं। यह कानून अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है। यहां एक स्पष्ट, उचित वर्गीकरण है। यह उन लोगों के लिए एक कानून है, जो विभाजन के कारण बने रहे। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे लोगों ने भारत आने का फैसला किया।
विपक्ष के इस आरोप का जवाब देते हुए कि सीएए को आगामी लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए अधिसूचित किया गया है, शाह ने कहा कि कानून की अधिसूचना में कोविड के कारण देरी हुई। राहुल गांधी, ममता या केजरीवाल सहित सभी विपक्षी दल झूठ की राजनीति में लिप्त हैं, इसलिए समय का सवाल ही नहीं उठता। बीजेपी ने अपने 2019 के घोषणापत्र में स्पष्ट कर दिया है कि वह सीएए लाएगी और शरणार्थियों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से) को भारतीय नागरिकता प्रदान करेगी। भाजपा का एक स्पष्ट एजेंडा है और उस वादे के तहत, नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया था। इसमें कोविड के कारण देरी हुई। भाजपा ने चुनाव में जनादेश मिलने से पहले ही अपना एजेंडा साफ कर दिया था।