ज्ञानवापी परिसर पर ASI सर्वे की रिपोर्ट 25 जनवरी को सर्वजनिक की गयी,जिसमें बताया गया कि मस्जिद के अंदर हिंदू देवताओ की मूर्ति के साथ स्तंभ जैसी कई चीजे पाई गई है। इसके साथ ही स्पष्ट किया गया कि ज्ञानवापी में बड़ा हिंदू मंदिर मौजूद था। जिसे औरंगजेब के शासन काल यानी 17वी शताब्दी में तोड़ा गया और कुछ हिस्सो में बदलाव कर मस्जिद का निर्माण कराया। मंदिर के मूलरूप को चूना और प्लास्टर की मदद से छिपाने की कोशिश भी की गई
बता दें, ASI द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में लगभग 32 से 34 साक्ष्य का जिक्र किया गया है जिससे ये साबित होता है कि ज्ञानवापी में हिंदू मंदिर था। इन साक्ष्यो में शिवलिंग के साथ भगवान विष्णु और गणेश की खंडित मूर्तीयो के अलावा नागर शैली से बनी पश्चिमी दीवार और मस्जिद के तहखाने में मिला मंदिर का स्तंभ भी शामिल है। इतना ही नहीं बल्कि मस्जिद से पुरालेख भी प्राप्त हुए है, जिसमें भगवान शिव के 3 नाम जनार्दन, रूद्र और उमेश्वर लिखे हुए है।
ASI की आठ सौ उनतीस पेज की रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष का कहना है कि हम दावा सावित हुआ। तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ये केवल एक रिपोर्ट से फैसला नहीं कर सकते है। आठ सौ उनतीस पन्ने की रिपोर्ट के अध्ययन में समय लगेगा। एक्सपर्ट्स से राय ली जाएगी, साथ ही कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाया जाएगा।
ASI की रिपोर्ट सामने आने के बाद हिंदू पक्ष अब सील वजूखाने के सर्वे का अनुरोध करेगा। 2021 के मां श्रृंगार गौरी केस के चलते ज्ञानवापी परिसर में सर्वे हुआ। जिसमें दावा किया गया कि ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाने में आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग मौजूद है। उसी दिन हिंदू पक्ष ने मांग रखी की वजूखाने को सील कर दिया जाए और ऐसा ही हुऐ आदालत के आदेश पर जूखाने को सील कर दिया गया। हालाकि ASI की रिपोर्ट से ये साबित हो गया है कि मंदिर तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई है लेकिन इसके मालिकाना हक का मुकदमा चल सकता है या नहीं इसके लिए अभी मामले को वाराणसी सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने कानूनी परीक्षा से गुजरना होगा।