उत्तराखंड विधानसभा में में बुधवार को यूसीसी विधेयक पारित हो गया है और आजादी के बाद ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया। अब तक, केवल गोवा में यूसीसी था, जिसे 1867 में पुर्तगालियों द्वारा अधिनियमित किया गया था। उत्तराखंड में यूसीसी विधेयक मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विधानसभा में पेश किया गया था। जो बहुमत के साथ सदन में पास हो गया है।
विधेयक पेश करने से पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बोले, “यह राज्य के सभी लोगों के लिए गर्व का क्षण है कि हम यूसीसी को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ने वाले देश के पहले राज्य के रूप में जाने जाएंगे।” बता दें, यूसीसी लाने का प्रमुख उद्देश्य बेटों और बेटियों के लिए समान संपत्ति अधिकार, वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना, गोद लिए गए और जैविक रूप से जन्मे बच्चों की समावेशिता और मृत्यु के बाद समान संपत्ति अधिकार के प्रावधान हैं।
बिल में लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। लिव-इन रिलेशनशिप से पैदा हुए बच्चे वैध माने जाएंगे और परित्यक्त महिलाएं अपने पार्टनर से गुजारा भत्ता पाने की हकदार होंगी। इसके साथ बहुविवाह और बाल विवाह पर पूर्ण प्रतिबंध, सभी धर्मों में लड़कियों के लिए एक समान विवाह योग्य उम्र और तलाक के लिए समान आधार और प्रक्रियाएं लागू करना शामिल हैं।