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पाकिस्तान के बाद मालदीव को कंगाल करेगा चीन, हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए ऐसे लगाया दांव

मालदीव। पाकिस्तान की तर्ज पर चीन ने एक और पड़ोसी मुल्क मालदीव को कंगाल करने की बड़ी गहरी साजिश रच दी है। इसके लिए बाकायदा चीन ने मालदीव की पुरानी सरकारों के साथ मिलकर इस देश में इतना कर्ज दिया कि अब मालदीव चीन का सबसे बड़ा कर्जदार हो गया है। विदेशी मामलों के जानकारों का कहना है कि स्थितियां अब और सबसे ज्यादा बदहाल होने वाली है। 30 सितंबर को हुए राष्ट्रपति के चुनाव में चीन के हिमायती रहे माले के पूर्व मेयर मोहम्मद मुइज्जू अब मालदीव के नए राष्ट्रपति बन गए हैं। इनकी पार्टी के शासनकाल में न सिर्फ माले में चीन में स्ट्रीट लाइट लगवाई जिनको लेकर समूचे देश में हंगामा हो गया। बल्कि इस देश के 17 आईलैंड को भी चीन ने बगैर किसी शोर शराबे के पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर अगले 50 साल के लिए पट्टे पर ले लिया। जहां से फिलहाल वह अपनी सैन्य गतिविधियों को हिंद महासागर में बढ़ाने की साजिश रचने लगा। फिलहाल मालदीव में नई सरकार के साथ चर्चा इस बात की होने लगी है कि चीन की ओर से थोपे गए अरबों डॉलर के कर्ज को आखिर कैसे निपटाया जाएगा।

संसद को भनक नहीं लगी और चीन का कब्जा

मालदीव में 30 सितंबर को हुए चुनाव से पहले यहां की सियासत में चीन के बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर लगातार बवाल सामने आता गया। विदेशी मामलों के जानकार और हिंद महासागर क्षेत्र के देशों पर पैनी नजर रखने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल विजय दहिया कहते हैं कि यह तो चुनाव में खुलासा हुआ कि चीन किस तरीके से मालदीव में अपना चोरी चोरी बड़ा हस्तक्षेप करता जा रहा था। वह कहते हैं कि मालदीव के वित्त मंत्रालय के आंकड़ों को निकालकर जब विपक्षी दलों ने चीन की साजिशों का पर्दाफाश करना शुरू किया तो वहां की सियासत में हंगामा मच गया। ये आंकड़े बताते हैं कि चीन में मालदीव में 2013 से लेकर 2018 की सरकार के दौरान जिस तरीके से अरबों  डॉलर का कर्जा देकर निवेश किया उससे पूरा मालदीव पाकिस्तान बनने की राह पर आगे बढ़ गया है। जानकारों का कहना है कि इस दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे अब्दुल्ला यामीन ने चीन के प्रभुत्व को न सिर्फ वहां पर बढ़ने दिया बल्कि कई ऐसे समझौते भी किए जिसकी वहां के संसद को जानकारी तक नहीं हुई।

मालदीव को 78 फीसदी कर्ज चीन ने दिया

लेफ्टिनेंट कर्नल विजय दहिया कहते हैं कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2014 में जब मालदीव में दौरा किया उसके बाद से मालदीव की पूरी अर्थव्यवस्था एक तरह से चीन के कब्जे में आ गई। वह बताते हैं कि चीन में इस दौरान मालदीव के भीतर जिस तरह से अपना नेटवर्क फैलाने की कोशिश की वह 2018 तक आते-आते तकरीबन दो बिलियन डॉलर के कर्ज के रूप में मालदीव पर थोपी जा चुकी थी। मालदीव के वित्त मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि इस देश पर जितना कर्ज समूची दुनिया का है उसमें से अकेले 78 फ़ीसदी का कर्जदार तो मालदीव चीन का है। विदेशी मामलों के जानकारो का मानना है कि मालदीव डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने चीन की ओर से दिए गए 78 फ़ीसदी के कर्ज के हिस्सेदारी पर जब हंगामा करना शुरू किया तो तत्कालीन सरकार ने न सिर्फ उनकी आवाज को दबाया बल्कि कई अन्य मामलों में दी जाने वाली जानकारियां भी साझा नहीं की। जानकारी के मुताबिक 2014 में चीन के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान चीन मालदीव का एक मैत्री पुल बनना शुरू हुआ। जबकि यही के तकरीबन 17  आईलैंड को पर्यटन के तौर पर विकसित करने के लिए करीब करीब 400 अरब डॉलर का कर्ज भी चीन ने मालदीव को दिया। और इन द्वीपों का अगले 50 साल के लिए पट्टा करवा लिया।

हिंद महासागर पर रखनी है चीन को नजर

विदेशी मामलों के जानकारो का मानना है कि जब 2018 में इब्राहिम मोहम्मद सोलीह सरकार में आए तो उन्होंने मोहम्मद यामीन की सरकार में हुए चीन के तमाम समझौते पर न सिर्फ रोक लगाने की तैयारी की बल्कि गुपचुप हुए समझौते को भी रोकने के आदेश दिए। पूर्व भारतीय विदेश सेवा से जुड़े रहे वरिष्ठ अधिकारी रमेश चंद्रा कहते हैं कि जिस तरह से चीन ने पाकिस्तान को बर्बाद करने के लिए अरब डॉलर का कर्जा दे दिया ठीक उसी तर्ज पर मालदीव में भी अपनी सत्ता के लिए 1200 द्वीपों वाले इस देश को बर्बादी की राह पर आगे बढ़ाने की पूरी योजना बना ली। वह बताते हैं अगर मालदीव के ऊपर चीन की ओर से लादे गए कर्ज का आकलन किया जाए तो उसको निपटाने में मालदीव सरकार आज की तारीख में बिल्कुल सक्षम नहीं है।

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