भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ‘भारत रत्न’ सम्मान स्वीकार करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री मोदी को आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मेरे जीवन का आदर्श वाक्य यही रहा कि यह जीवन मेरा नहीं है, मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है और यही बात उनके जीवन को प्रेरित करती है।
भाजपा के 96 वर्षीय सह-संस्थापक ने आगे कहा, “मैं अत्यंत विनम्रता और कृतज्ञता के साथ ‘भारत रत्न’ स्वीकार करता हूं जो आज मुझे प्रदान किया गया है। यह न केवल एक व्यक्ति के रूप में मेरे लिए सम्मान की बात है, बल्कि उन आदर्शों और सिद्धांतों के लिए भी सम्मान है, जिनकी मैंने अपनी पूरी क्षमता से जीवन भर सेवा करने का प्रयास किया।”उन्होंने कहा कि आज मैं दो लोगों (पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी) को कृतज्ञतापूर्वक याद करता हूं, जिनके साथ मैंने काम किया है।
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उन्होंने आगे लिखा, “14 साल की उम्र में जबसे मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में स्वयंसेवक के रूप में शामिल हुआ, तब से मैंने केवल एक ही चीज़ इनाम में मांगा है, जीवन में मुझे जो भी कार्य सौंपा गया है, उसमें अपने प्यारे देश की समर्पित और निस्वार्थ सेवा करना। जिस चीज़ ने मेरे जीवन को प्रेरित किया है, वह आदर्श वाक्य है ‘इदं न मम’ – यह जीवन मेरा नहीं है। मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए है।”
इससे पहले सर्वोच्च नागरिक सम्मान के लिए नाम की घोषणा के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने घर से हाथ हिलाकर लोगों और मीडियाकर्मियों का अभिवादन किया। इस दौरान इनकी बेटी प्रतिभा आडवाणी भी उनके साथ नजर आई।