नए युवकों को भोपाल-रायसेन के जंगलों में लगने वाला था ट्रेनिंग कैंप
भोपाल-रायसेन से सटे जंगलों में लगाने वाले थे प्रशिक्षण कैंप
भोपाल। अंतर्राष्ट्रीय कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के भोपाल और हैदराबाद से गिरफ्तार संदिग्ध आतंकियों से पूछताछ में बड़ा खुलासा हुआ है। भोपाल से गिरफ्तार आतंकियों के मोबाइल कॉल डिटेल और पूछताछ में एक दर्जन ऐसे युवकों की शिनाख्त हुई, जो संदिग्ध आतंकियों से कई महीने से संपर्क में थे। उन युवकों पर एटीएस की नजर बनी हुई है। एटीएस उन संदिग्धों की हर गतिविधियों पर नजर बनाए हुए है। वहीं हैदराबाद से गिरफ्तार सलीम और शेख जुनैद व अन्य ने भी बताया है कि वे भोपाल और रायसेन की सीमा से सटे जंगलों में फिर से ट्रेनिंग कैंप लगाया जाने वाला था।
उस ट्रेनिंग कैंप में भोपाल और आसपास रहने वाले दर्जन भर युवकों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देना प्रस्तावित था। मप्र एटीएस जब भोपाल से गिरफ्तार एचयूटी के संदिग्धों से पूछताछ की तो उन्होंने भी स्वीकार कर लिया है कि हम उन्हें तैयार कर रहे थे। एचयूटी संगठन में जोडऩे से पहले उनके उग्र स्वभाव का होना, धर्म के नाम पर जिहादी बनने और अन्य कार्यों के लिए तत्पर रहने जैसे बिंदुओं पर पड़ताल की जाती है। मप्र एटीएस अब प्रशिक्षण क लिए तैयार होने वाले दर्जन भर युवकों से पूछताछ भी कर सकती है, हालांकि अभी तक किसी से एटीएस ने कोई संपर्क नहीं किया है। छिंदवाड़ा से गिरफ्तार अब्दुल करीम से एटीएम से टेक्निकल और क्या सपोर्ट लेते थे, यह पूछताछ की जा रही है।
फंडिंग करने वालों की तलाश शुरू
भोपाल को सुरक्षित स्थान मानकर सिमी, पापुलर फं्रट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बाद कट्टरपंथी एचयूटी संगठन जड़े जमाने के लिए यहां प्रशिक्षण शिविर आयोजित करती रही है। एचयूटी से जुड़े अधिकांश सदस्य सिमी और पीएफआई की विचारधारा से जुड़े थे या प्रभावित थे। वहीं प्रशिक्षण शिविर, हैदराबाद से आने वाले संदिग्धों के रुकने, रहने और उनका खर्च उठाने, लोगों को जोडऩे के लिए फंडिंग की व्यवस्था की जाती थी। एटीएस और एनआईए अब यह पड़ताल कर रही हैं कि संगठन को सक्रिय करने, उनके क्रियाकलाप बढ़ाने के लिए फंडिंग कौन करता था।