- ऑपरेशन जिब्राल्टर के हुए 58 साल
- 1965 की जंग आज ही के दिन हुई शुरू
साल 1947 में जब भारत और पकिस्तान का बटवारा हुआ था। अलग होने के बाद भी पकिस्तान शुरू से ही कश्मीर को हथियाना चाहता था। इसी फिराक में कबाइलियों ने कश्मीर पर 22 अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर हमला कर दिया। उसी समय वहां के राजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत का ही हिस्सा बना दिया जिसकी वजह से भारतीय सेना ने कबाइलियों को बुरी तरह से हरा दिया इसलिए उस वक़्त पकिस्तान के मंसूबे कामयाब नहीं हो पाए।
जब कुछ साल बीते तब पकिस्तान ने फिर कश्मीर को हथियाने का प्रयास शुरू कर दिया। पकिस्तान ने 1960 का समय भारत से जंग के लिए चुना क्योंकि 1962 में भारत और चीन का युद्ध हुआ था जिसके कारण सेनाएं काफी थक चुकी थीं और 1964 में जवाहरलाल नेहरू का निधन भी हो गया था जिसके चलते भारतीय राजनीति में एक बड़ी रुकावट सी आ गयी थी। इन्ही सब चीज़ों को देखते हुए पकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर लांच किया।
क्या था जिब्राल्टर ?
जिब्राल्टर एक छोटा सा द्वीप है जो की स्पेन में स्थित है। इस द्वीप की मान्यता इसलिए है क्योंकि जब 8वीं सदी में अरब देशों की सेना यूरोप पर जीत हासिल करने के लिए पश्चिम की ओर चली तो उनका पहला पड़ाव जिब्राल्टर द्वीप ही था। और इसी द्वीप से शुरुआत करने की वजह से अरबी सेना ने पूरे स्पेन पर जीत हासिल की थी।
इसी सोच के साथ पकिस्तान ने ये ऑपरेशन 5 अगस्त 1965 यानी आज से 58 साल पहले शुरू किया कि शायद उसी स्पेन वाले युद्ध की तरह जिब्राल्टर कश्मीर है और स्पेन भारत है, तो अगर कश्मीर पर पकड़ बन जाएगी तो पूरा भारत आसानी से कब्ज़े में आ जाएगा।
ज़ेब्राल्टर का पाकिस्तानी बटवारा
ऑपरेशन ज़ेब्राल्टर में लड़ाकों के नाम का बटवारा मुस्लिम योद्धाओं के नाम पर दिया गया था उनमें तारिक, कासिम, खालिद, सलाउद्दीन, गजनवी और बाबर शामिल था। इन लड़ाकों को नाम के हिसाब से 6 समूहों में बाट दिया गया और इनकी अच्छे से ट्रेनिंग करवाई गयी ताकि यह ऑपरेशन सफल हो जाए। जब 5 अगस्त, 1965 को जिब्राल्टर फोर्स ने हमला किया तो सलाउद्दीन फोर्स श्रीनगर में दाखिल हो गई।
आखिर क्यों हुआ ऑपरेशन जिब्राल्ट विफल ?
अगर हम बात करें तो 5 कारणों से यह विफल हुआ और वो हैं:-
1) स्थानीय समर्थन की कमी
2) ख़राब योजना और कार्यान्वयन
3) भारतीय जवाबी उपाय
4) भू-राजनीतिक कारक
5) मौसम
जो भी सैनिक भेजे गए थे, कुछ तो ठंड की वजह से मर गए, तो कुछ लड़ाई में अपनी जान गवां बैठे। 8 अगस्त को आकाशवाणी ने जिब्राल्टर फोर्स के पकड़े गए 4 अफसरों का इंटरव्यू देश के सामने प्रसारित किया जिसमें उन्होंने पूरी योजना बता दी। इस प्रकार से पकिस्तान की हार हुई और उनके भेजे सारे लड़ाकुओं को भी भारतीय सेना ने मार गिराया। भारतीय सेना का कभी न थकने वाला साहस हमेशा और हर जगह काम आता है। अपनी सेना पर हर भारतीय को गर्व है और कश्मीर से उतना ही ज़्यादा प्यार भी है। (आस्था त्रिपाठी)