पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के लोग अब खुलकर पाकिस्तान की सरकार, उसकी नीतियों एवं अत्याचार का विरोध कर रहे हैं। नागरिक सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान सरकार का विरोध करने के साथ ही मुक्ति दिलाने के लिए भारत को पुकार रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि पाकिस्तान की अत्याचार से भारत ही उन्हें मुक्ति दिला सकता है। पाकिस्तान के कुशासन के कारण जम्मू-कश्मीर के इस हिस्से में हालात पहले से ही खराब थे लेकिन भुखमरी से जूझ रहे पाकिस्तान ने अब इस हिस्से में और अत्याचार बढ़ा दिया है। यहाँ बिजली का सबसे अधिक उत्पादन होता है लेकिन यहीं के लोगों को बिजली के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है।
सरकार ने आवश्यकता के सामग्री पर भी अतिरिक्त कर थोप दिया है, जिसके कारण से महंगाई से जूझ रही जनता का जीना मुहाल हो गया है। स्थितियां इतनी विकट हो गई हैं कि यहाँ की जनता खुलकर कह रही है कि “मोदी से कहो कि हमें पाकिस्तान के अवैध कब्जे से मुक्ति दिलाएं और हमारी आत्मा को बचाएं। हम भूख से मर रहे हैं। कृपया आएं और हमारी मदद करें”। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान ने अवैध ढंग से जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से को दबा रखा है। चूँकि पाकिस्तान भी यह मानता है कि यह उसका हिस्सा नहीं है इसलिए प्रारंभ से ही पाकिस्तानी सरकार वहाँ के नागरिकों पर अत्याचार करती आई है। यहाँ के लोगों को भारत के विरुद्ध इस्तेमाल करने की साजिश भी पाकिस्तान की सरकार करती रही है।
आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए पाकिस्तानी सेना यहाँ के युवाओं को जबरन पकड़कर आतंकी शिविरों में भेजती रही है। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर की जनता सरकार के दोहरे रवैये के कारण से प्रारंभ से ही मुक्ति के लिए छटपटाती रही है। लंबे समय से पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्रता का आंदोलन चल रहा है। यहाँ कुछ समूह इसके लिए भी प्रयासरत हैं कि हम शेष जम्मू-कश्मीर की भाँति भारत का ही हिस्सा हो जाएं। स्वाभाविक रूप से भी यह हिस्सा भारत का ही है। भारत आज भी अपने अधिकृत मानचित्र में इस हिस्से को अपना अखण्ड हिस्सा बताता है। भारत की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था संसद में भी इस आशय का प्रस्ताव पारित है। इसलिए यदि भारत पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर के लोगों की सहायता करने के लिए वहाँ से पाकिस्तान को खदेड़ता है, तब यह अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई के तौर पर ही देखी जानी चाहिए। भारत में जिस प्रकार की दृढ़ इच्छाशक्ति की सरकार है, उससे यह उम्मीद है कि जो काम 70 वर्षों में नहीं हुआ, वह निकट भविष्य में संभव होगा।
भारत को उसकी भूमि पर पुन: अधिकार मिलेगा। पाकिस्तान के अवैध कब्जे से अपनी भूमि को मुक्त करना भारत का स्वाभाविक कर्तव्य है। चूँकि भारत बातचीत को प्राथमिकता देता है, इसलिए इस मामले में अभी तक उसने यही रुख अपनाए रखा है। परंतु अब तो वहाँ के नागरिक ही खुलकर पाकिस्तान के विरोध में खड़े हो गए। ऐसा भी प्रतीत होता है कि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में बांग्लादेश जैसी स्थितियां निर्मित हो रही हैं। इसलिए ही भारत सरकार के केंद्रिय मंत्री एवं पूर्व सेना प्रमुख वीके सिंह कहते हैं कि “हमें धैर्य रखना होगा। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर अपने आप ही भारत में शामिल हो जाएगा”। विश्वास है कि वह अवसर जल्द ही आए और वहाँ के नागरिकों को शांतिपूर्ण ढंग से जीने का अधिकार मिले।