अमेरिका में आगामी चुनावों में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत को लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने विचार साझा किए हैं। उनके अनुसार, यदि डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं, तो इससे भारत-अमेरिका संबंधों में सकारात्मक प्रगति की संभावना बढ़ सकती है। जयशंकर ने इस संदर्भ में कई मुद्दों पर प्रकाश डाला और बताया कि ट्रंप की वापसी से भारत को किन-किन क्षेत्रों में लाभ मिल सकता है। आइए विस्तार से समझते हैं कि उनके इस बयान के पीछे क्या संभावनाएं हैं।
1. रक्षा और सामरिक सहयोग में मजबूती
जयशंकर का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों में बड़ा सुधार हुआ था। ट्रंप की विदेश नीति में चीन के प्रति सख्ती और भारत के प्रति दोस्ताना दृष्टिकोण रहा है। ऐसे में अगर ट्रंप पुनः सत्ता में आते हैं, तो यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत को अमेरिकी रक्षा तकनीक और सामरिक मदद मिलने में आसानी होगी। इससे भारत की सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं में वृद्धि होगी और दोनों देशों के बीच अधिक रक्षा समझौते संभव हो सकते हैं।
2. चीन पर सख्ती का लाभ
ट्रंप का चीन के प्रति कठोर रुख जगजाहिर है। ट्रंप प्रशासन ने चीन के आर्थिक और सामरिक प्रभाव को नियंत्रित करने की दिशा में कई कदम उठाए थे। चीन के साथ बढ़ते तनाव और एशिया में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए भारत को एक मजबूत सहयोगी के रूप में देखा जा सकता है। यदि ट्रंप सत्ता में आते हैं, तो चीन पर सख्ती बनाए रखने की संभावना है, जिससे भारत को सामरिक और आर्थिक दृष्टि से लाभ मिल सकता है।
3. आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार
ट्रंप प्रशासन के दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौतों में भी प्रगति देखी गई थी। भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिका में व्यापार करना और अमेरिकी कंपनियों के लिए भारत में निवेश करने का मार्ग प्रशस्त हुआ था। ट्रंप की वापसी से यह उम्मीद की जा सकती है कि भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्ते और भी मजबूत होंगे। इससे दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात में वृद्धि हो सकती है, और भारतीय उद्योगों को अमेरिका के बाजार में अधिक अवसर मिल सकते हैं।
4. हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है, और ट्रंप प्रशासन इस क्षेत्र में भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करने के पक्ष में था। इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए ट्रंप भारत के साथ सामरिक समझौतों पर जोर देते थे। ऐसे में उनकी वापसी से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत को नेतृत्व देने का अवसर मिल सकता है और इस क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग बढ़ सकता है।
5. एच1-बी वीजा नीतियों में सुधार
भारत से हजारों आईटी पेशेवर अमेरिका में कार्य करते हैं, और ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में एच1-बी वीजा नीतियों को सुधारने की बात कही थी। हालांकि, कुछ नीतियों में सख्ती भी हुई, लेकिन यह उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप की वापसी से भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में अवसर बढ़ सकते हैं। जयशंकर के अनुसार, ट्रंप इस दिशा में कुछ सकारात्मक बदलाव कर सकते हैं, जो भारतीय आईटी और अन्य उच्च-कुशल पेशेवरों के लिए अमेरिका में अवसरों को बढ़ावा देंगे।
6. ऊर्जा और पर्यावरण समझौतों में सहयोग
ट्रंप प्रशासन ने ऊर्जा के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग बढ़ाने की पहल की थी। ट्रंप की नीति पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर अधिक ध्यान देने की रही है, जिससे भारत के ऊर्जा आयात में वृद्धि हो सकती है। जयशंकर का मानना है कि ट्रंप की वापसी से भारत-अमेरिका के बीच ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग बढ़ेगा, जिससे भारत को सस्ती ऊर्जा प्राप्त हो सकती है और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का अवसर मिल सकता है।
7. वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ सहयोग
ट्रंप प्रशासन ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाई थीं, और भारत इस मामले में अमेरिका का प्रमुख सहयोगी बना हुआ है। अगर ट्रंप सत्ता में आते हैं, तो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को अमेरिका का मजबूत समर्थन मिल सकता है। जयशंकर का मानना है कि ट्रंप के कार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर सहयोग को और अधिक मजबूत किया जा सकता है, जो भारत के लिए लाभकारी होगा।
डोनाल्ड ट्रंप की संभावित जीत को जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए आशाजनक बताया है। उनकी विदेश नीति के दृष्टिकोण से ट्रंप की वापसी भारत के लिए कई क्षेत्रों में लाभकारी हो सकती है, जैसे रक्षा, व्यापार, तकनीकी सहयोग, सामरिक साझेदारी, और वैश्विक मंचों पर सहयोग। हालांकि, यह देखना होगा कि ट्रंप के वास्तविक नीतिगत निर्णय भारत के हित में कितने सकारात्मक साबित होते हैं।