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जिन स्‍वातंत्र्यवीर सावरकर को नहीं मिला कई राज्‍यों में सम्‍मान, अब मध्‍यप्रदेश में उनकी जीवनी पढ़ेंगे बच्‍चे

  • ब्रिटिश सरकार को लिखी एक चिट्ठी का हवाला देकर उन्हें कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं।
    भोपाल ।
    वीर सावरकर नाम सुनते ही सबसे पहले याद आती है 28 साल 200 दिन की दमनकारी अंग्रेजों की भयंकर प्रताड़ना और उस पर अपने ध्‍येय के लिए अडिग रहने का सावरकर संकल्‍प। हालांकि उनसे जुड़े विवाद भी हैं, भारत की स्‍वाधीनता में अग्रणी भूमिका के लिए एक बहुत बड़ा वर्ग उन्हें वीर सावरकर कहता है तो दूसरी ओर देश में उन लोगों की भी कोई कमी नहीं जो ब्रिटिश सरकार को लिखी एक चिट्ठी का हवाला देकर उन्हें कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं। किंतु देश भक्‍ति से जुड़े उनके जीवन के इतने पहलू हैं कि उन्‍हें कोई चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकता है। ऐसे में जहां देश के कई राज्‍य द्वारा अब तक उनके त्‍याग एवं देश भक्‍तिपूर्ण समर्पण की चर्चा करने से बचने का प्रयास होता रहा है तो वहीं मध्‍य प्रदेश की भाजपानीत शिवराज सरकार अब से उनके राष्‍ट्र के प्रति समर्पण को विद्यालयों में बढ़ाने जा रही है।
    दरअसल, अब से मध्य प्रदेश के शासकीय स्कूलों में अब बच्चों को स्वाधीनता सेनानी वीर सावरकर की जीवनी पढ़ाई जाएगी। इसके संबंध में स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार ने गुरुवार को इसकी घोषणा की है। साथ ही बच्चे भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु जैसे क्रांतिकारियों के जीवन के बारे में भी अध्‍ययन करेंगे। मध्य प्रदेश सरकार में स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार इंदर सिंह परमार कहते हैं कि वीर सावरकर हमारे उन महान क्रांतिकारियों में से एक हैं जिनको, एक जन्म में दो-दो आजन्म कारावास की सजा हुई। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में वे पहले लेखक हुए जिन्होंने 1857 के आंदोलन को स्वतंत्रता संग्राम कहा। नहीं तो लोग गदर ही कहते थे। स्कूल शिक्षा मंत्री ने कहा- भारत की आजादी में उनका अभूतपूर्व योगदान है, इसलिए उनको हर जगह सम्मान मिलना चाहिए। दुर्भाग्य से इस देश में कांग्रेस की सरकारों ने भारत के महान क्रांतिकारियों को इतिहास के पन्नों में जगह नहीं दी। विदेशी आक्रांताओं को महान लिखा और देशभक्तों को महान नहीं बताया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारत केंद्रित शिक्षा पर काम कर रही है। देश के लिए काम करने वाले देश के हीरो बनेंगे। उन्हें हम बच्चों को पढ़ाने का काम करेंगे, इसलिए नए पाठ्यक्रम में हम उनका पाठ जोड़ रहे हैं ।
    इंदर सिंह परमार साथ में यह भी कहते हैं कि मध्‍य प्रदेश के विद्यालयीन पाठ्यक्रम में हम सच्चे नायकों की जीवनियां शामिल कर रहे हैं। इस नए पाठ्यक्रम में वीर सावरकर के अतिरिक्‍त भगवद्गीता संदेश, भगवान परशुराम, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु और अन्य क्रांतिवीर, स्‍वाधीनता सेनानियों के पाठ शामिल किए जा रहे हैं । स्‍कूल मंत्री परमार का कहना यह भी है कि कांग्रेस ने महान पराक्रमियों को भी गलत बताने का काम किया, अब ऐसे पराक्रमियों को बीजेपी की सरकार पढ़ायेगी। कांग्रेस के कारण देश गुमराह हुआ है। कांग्रेस ने लुटेरों का इतिहास पढ़ाया, कांग्रेस को गांधी जी का इतिहास नहीं मालूम। कांग्रेस ने तो गांधी जी के इतिहास को गलत प्रदर्शित किया, भारतीय जनता पार्टी की सरकारों ने गांधीजी का सही इतिहास पढ़ाया है।
    मंत्री परमार कांग्रेस के आरोपों पर खासे नाराज हैं। उन्होंने वामपंथी इतिहासकारों को भी चैलेंज किया है कि भारत की खोज वास्कोडिगमा ने नहीं की, भारत के लोग पहले विदेश गए थे। बच्‍चों को गलत इतिहास पढ़ाया गया है। यह अब राज्‍य में नहीं चलनेवाला है। वहीं, दूसरी ओर मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस भाजपा सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रही है। तमाम कांग्रेसी नेताओं द्वारा इस विषय में शिवराज सरकार को घेरने का प्रयास किया जा रहा है।
    आपको बतादें कि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने स्‍वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर के त्‍याग एवं देश के प्रति समर्पण को लेकर जब-जब संसद में बोला, उसको सुनने के बाद सावरकर की आलोचना करनेवाले एक शब्‍द भी नहीं बोल पाए थे। स्‍व. वाजपेयी के एक प्रसिद्ध भाषण का एक अंश यहां उल्‍लेखित है, जिसमें उन्‍होंने सावरकर होने के कई मायने बताए।
    अटलबिहारी वाजपेयी इस भारष में बताया था कि सावरकर जी एक व्यक्ति नहीं हैं, एक विचार हैं। एक चिनगारी नहीं हैं, एक अंगार हैं। सीमित नहीं हैं, एक विस्तार हैं। मन, वचन और कर्म में जैसा तादात्म्य (मेल-जोल), जैसी एकरूपता सावरकर जी ने अपने जीवन में प्रकट की, वो अनूठी है, अलौकिक है। उनका व्यक्तित्व, उनका कृतित्व, उनका वक्तृत्व और उनका कवित्व सावरकर जी के जीवन को ऐसा आयाम प्रदान करते हैं कि विश्व के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे। जब-जब कोई पराधीनता के खिलाफ संघर्ष करेगा, अन्याय के विरुद्ध लड़ाई के मैदान में कूदेगा, जब-जब जीवन के बलिदान की बेला आएगी, जब-जब सर्वस्व का समर्पण करके मात्रिभूमि का खोयी हुई स्वाधीनता को प्राप्त करने का क्षण उपस्थित होगा, स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले संसार भर के लोग जब महापुरुषों का स्मरण करेंगे और स्मरण करने के बाद बलि की वेदी पर अपने जीवन का उत्सर्ग करने के लिए आगे बढ़ेंगे तो वीर सावरकर विश्व के उन महापुरुषों की मालिका में एक चमकते हुए दैदीप्यमान रत्न की तरह शोभायमान होंगे।

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