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39 साल बाद भी उस काली रात के नहीं भर सके जख्म..! जानें पीड़ितों के लिए सरकार ने अब तक क्या-क्या उठाए कदम

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 2 दिसंबर 1984 की उस काली रात में हुई दुर्घटना ने पूरे देश का दहला कर रख दिया था। आधी रात को हुए यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड में गैस रिसाव ने हजारों निर्दोष लोगों को मौत की नींद सुला दिया था। यह त्रासदी दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में से एक है। इस वजह से लाखों लोगो के घर, व्यवसाय और परिवार पूरी तरह तवाह हो गए थे। भोपाल गैस त्रासदी का दर्द और टीस आज भी यहां रहने वाले लोगों के बीच महसूस की जा सकती है।

जानें, भोपाल गैस त्रासदी के बाद अब तक सरकार ने क्या कदम उठाये

  •  गैस त्रासदी से उत्पन्न हुए समस्याओं को रोकने के लिए राज्य सरकार की ओर से भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास विभाग का साल 1985 में गठन किया गया था।
  •  भारत सरकार ने एक सार्वजनिक देयता बीमा अधिनियम (1991) बनाया। जिसका अर्थ खतरनाक उद्योगों से जुड़ी दुर्घटनाओं के पीड़ितों को तत्काल राहत प्रदान करना था। अधिनियम के तहत, प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए एक पर्यावरण राहत कोष की स्थापना की गई थी।
  • कल्याण आयुक्त कार्यालय, भोपाल गैस पीड़ित की स्थापना 1985 में की गई थी। गौरतलब है, सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर, यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन, यूएसए ने फरवरी में 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मुआवजा राशि जमा किया था। भारत सरकार ने त्रासदी के बाद मुख्य रूप से गैस पीड़ितों के लिए अस्पताल-आधारित सेवाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया था। इसलिए आपदा के बाद कई अस्पतालों का निर्माण किया गया था।
  •  जब यूसीसी यूसीआईएल में अपने शेयर बेचना चाहता था, तो सुप्रीम कोर्ट ने उसे जीवित बचे लोगों की चिकित्सा देखभाल के लिए 500 बिस्तरों वाले अस्पताल का वित्तपोषण करने का निर्देश दिया। इस प्रकार, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) का उद्घाटन 1998 में किया गया था और यह जीवित बचे लोगों को आठ साल तक मुफ्त देखभाल देने के लिए बाध्य था।
  • मार्च 1985 में, भारत सरकार ने यह सुनिश्चित करने के तरीके के रूप में भोपाल गैस रिसाव आपदा अधिनियम लागू किया कि दुर्घटना से उत्पन्न दावों को तेजी से और न्यायसंगत तरीके से निपटाया जाएगा। इस अधिनियम ने सरकार को भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह कानूनी कार्यवाही में पीड़ितों का एकमात्र प्रतिनिधि बना दिया। यूसीआईएल कारखाने के आसपास की आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लिए, मध्य प्रदेश सरकार ने जल-आपूर्ति सुधार योजना का प्रस्ताव रखा था।
  • त्रासदी के परिणाम स्वरुप सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का बनाया गया था। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 पर्यावरण में सुधार और मनुष्यों, पौधों, अन्य जीवित प्राणियों के लिए खतरों की रोकथाम के लिए सुरक्षा प्रदान करता है।
  • 2 दिसम्बर 1984 में हुए गैस त्रासदी को हर साल राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में मनाया जाता है इस दिन का उद्देश्य प्रदूषण के कारण होने वाले आपदाओं और रोगों से बचने के लिए लोगों को जागरूक और सचेत करना है।
  • हर वर्ष भोपाल में गैस त्रासदी की वरसी पर जगह-जगह श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है। जिनमें गैस कांड में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस साल भोपाल गैस त्रासदी की 39वीं बरसी पर दिवंगतों की स्मृति में 3 दिसंबर को सुबह 10:30 बजे भोपाल में बरकतउल्ला भवन में श्रृद्धांजलि एवं प्रार्थना सभा होगी। जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शामिल होंगे।

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