विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को एक डरावनी रिपोर्ट प्रकाशित की। जिसमें दावा किया गया है कि विश्व में हर छह में से एक व्यक्ति बांझपन से प्रभावित है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वैश्विक स्तर में लगभग 17.5 प्रतिशत वयस्क आबादी बांझपन से जुझती है। इसके इलाज में भी लोग काफी खर्च करते हैं। जिसमें भारत सबसे ज्यादा पैसा खर्च करता है।
इस प्रकार बनाई गई रिपोर्ट
बता दें WHO की ओर से जारी किये गये ये आंकड़े 1990 से 2021 तक की गई अलग-अलग 133 स्टडी के विश्लेषण के आधार पर प्रकाशित किए गए हैं। इनमें से 66 स्टडीज पति-पत्नी पर की गई थी तो वहीं पर 53 स्टडी ऐसे लोगों पर थी जिनकी शादी नहीं हुई थी वो अपने पार्टनर के साथ रहते थे। 11 स्टडी ऐसी रही जिनका मैरिटल स्टेटस नहीं बताया गया है।
इसका इलाज काफी महंगा
बात करें बांझपन की तो ये पुरुष या महिला प्रजनन प्रणाली की एक बीमारी है, जिसे 12 महीने या उससे अधिक नियमित असुरक्षित संभोग के बाद गर्भावस्था प्राप्त करने में विफलता से परिभाषित किया गया है। इतना ही नहीं यह लोगों को मानसिक रूप से प्रभावित करता है। समस्या की इतनी भयावहता के बावजूद इसका इलाज और भी मुश्किल और मंहगा है। गौरतलब है कि बांझपन की रोकथाम और इलाज का समाधान इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) जैसी तकनीक से होता है। इसका इलाज महंगी और सीमित होने के कारण कई लोगों की पहुंच से दूर है।
इलाज में भारत कर रहा सबसे ज्यादा खर्च
विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्टडी के मुताबिक भारत में बच्चा पैदा करने की ख्वाहिश को पूरा करने के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा खर्च किया जाता है। भारत में एक ART साइकल पर एक व्यक्ति अपनी औसत वार्षिक आय के मुकाबले 166 गुना ज्यादा खर्च कर डालता है। दुनिया भर में संतान चाहने के इलाज पर होने कहीं USD 2109 यानी भारतीय रुपए में 1 लाख 73 हजार खर्च आता है तो कहीं 15 लाख 30 हजार है। वहीं भारत में एक ART साइकिल पर 18592 डॉलर यानी भारतीय रुपए में तकरीबन 15 लाख 30 हजार का खर्च आता है।