पिछले एक साल से रूस से होने वाले तेल के व्यापार पर अंकुश लगाने की कोशिश करने वाले यूरोपियन यूनियन को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फटकार लगाई है। उन्होंने कहा है कि यूरोपियन यूनियन पहले कायदों को पढ़े। अगर रूस का कच्चा तेल किसी तीसरे देश में बदला जा रहा है या तब्दील किया जा रहा है तो फिर यह रूसी तेल नहीं समझा जाएगा।’
विदेश नीति पर ईयू के सर्वोच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल ने कहा था कि जो भारतीय रिफाइनरीज रूस से आने वाले कच्चे तेल को प्रोसेस करके यूरोप को बेच रही हैं, उन पर कार्रवाई करनी चाहिए।बोरेल ने फाइनेंशियल टाइम्स को दिए इंटरव्यू में कहा था कि ईयू को मालूम है कि भारतीय रिफाइनरीज भारी मात्रा में रूस ये कच्चा तेल खरीद रही हैं। फिर इसे प्रोसेस करके यूरोप को बेच रही हैं। इस पर ईयू को कड़ा कदम उठाने की जरूरत है। इसके बाद जयशंकर ने बोरेल को ईयू काउंसिल के नियम खासतौर पर 833/2014 की याद दिलाई। इस नियम के तहत यह स्पष्ट है कि रूस से आने वाला कच्चा तेल अगर किसी तीसरे देश में प्रॉसेस से गुजरता है तो फिर उसे रूसी तेल नहीं समझा जाएगा।
जयशंकर ने बोरेल से मुलाकात के पहले यह बयान दिया और उनका यह बयान अब तालियां बटोर रहा है। बोरेल ने कहा था, ‘अगर डीजल या पेट्रोल यूरोप में दाखिल हो रहा है और भारत से आ रहा है और रूसी तेल के साथ प्रॉसेस्ड उत्पादित किया जा रहा है, यह निश्चित रूप से प्रतिबंधों का उल्लंघन है और सदस्य देशों को इससे निबटना होगा।
रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीददार
2022 में चीन के बाद भारत तेल खरीदने के मामले में दूसरे नंबर पर था। अब एक साल बाद यूरोप को ऑयल बेचने के मामले में भारत ने सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है। भारत रोजाना साढ़े 3 लाख बैरल से ज्यादा यानी करीब 5.5 करोड़ लीटर ऑयल यूरोप को निर्यात कर रहा है।
24 फरवरी 2022 को रूस और यूक्रेन के बीच जंग शुरू हुई। इसके चलते मार्च 2022 में क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर प्रति बैरल 140 डॉलर पहुंच गई। तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम करने के लिए अमेरिका ने अपना क्रूड खजाना खोलने का ऐलान कर दिया। उस वक्त भारत अपनी जरूरत का 60% क्रूड ऑयल खाड़ी देशों से खरीदता था और सिर्फ 2% कच्चा तेल रूस से आता था।
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