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जीएसटी का 6 साल का सफर, भारत के टैक्स इतिहास में बना मील का पत्थर

  • भारत के कराधान की स्थिति को बेहतर बनाने की शुरुआत बड़े पैमाने पर जून 2017 में हुई.
  • वस्तु एवं सेवा कर के विभिन्न अप्रत्यक्ष कर कानूनों को एक समान कर संरचना में एकीकृत कर दिया गया.
    मुंबई ।
    गुज़रे 6 सालों में जीएसटी को सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है. इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि प्रति वर्ष कलेक्शन रिकॉर्ड दर पर बढ़ रहा है. इसके बावजूद सरकार द्वारा अभी भी इसके महत्वपूर्ण पहलू में बेहतरी लाने पर विचार -विमर्श चल रहा है. कई सामाजिक-आर्थिक कारणों जैसे कि जनसांख्यिकीय अंतर, जनसंख्या के बीच आय स्तर की असमानता के कारण, अंततः एक बहु-दर संरचना पर भी विचार गंभीरतापूर्वक किया जा रहा है. जैसा कि देखा जा सकता है कि आतिथ्य क्षेत्र में जीएसटी की दरें भोजन और पेय पदार्थों पर होटल के कमरे के शुल्क से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा, एलपीजी पर जीएसटी की ऊंची दर के कारण परिचालन लागत में वृद्धि हुई है. स्वास्थ्य सेवा प्राप्त करने वाले उपभोक्ताओं को 5,000 रुपये से अधिक टैरिफ वाले गैर-आईसीयू अस्पताल के कमरों पर लगाए गए जीएसटी का बोझ उठाना पड़ रहा है. ऊर्जा क्षेत्र में काम करने वाले बड़ी मुश्किल से तर्कसंगत मार्जिन कमा रहे हैं क्योंकि इनपुट और पूंजीगत वस्तुओं पर जीएसटी ऐसी कंपनियों के लिए लागत बन जाती है. इसी तरह की दुविधा का सामना पेट्रोलियम उद्योग को भी करना पड़ रहा है. अभी यह प्रश्न बना हुआ है कि किस तरह जीएसटी दर संरचना को और सरल बनाया जाय, सरकार का मकसद इसके ज़रिए अतिरिक्त राजस्व जुटाना नहीं है. जीएसटी के कार्यान्वयन में वर्षों से, सरकार व्यापार और उद्योग के साथ आपसी समझदारी का नजरिया बनाने में काफी सक्रिय रही है, और जीएसटी दरों को तर्कसंगत बना रही है या वर्गीकरण विवादों को हल कर रही है. जीएसटी परिषद ने भी वर्षों से लगातार कर संरचना की समीक्षा करने और GST दरों/छूटों में संशोधन करने का प्रयास किया है, 24 सितंबर, 2021 को आयोजित अपनी 45वीं बैठक में जीएसटी परिषद द्वारा एक जबरदस्त पहल की गई थी. इस सम्बन्ध में मंत्रियों के एक समूह का गठन भी किया गया जिसका उद्देश्य था विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति के लिए तर्कसंगत जीएसटी दरों का सुझाव देना, ऐसी आपूर्ति की राजस्व तटस्थता और संवेदनशीलता पर विचार करना, वर्गीकरण से संबंधित विवादों को हल करना, उलटे शुल्क संरचनाओं को सही करना और अप्रत्यक्ष करों के व्यापक प्रभाव से बचना था. आप को बता दें कि समूह गठन के बाद से , 500 से अधिक वस्तुओं और 100 से अधिक सेवाओं पर जीएसटी दरों/छूटों में संशोधन किया गया है, जिससे उल्टे शुल्क संरचनाओं को समाप्त किया गया है, वर्गीकरण मुद्दों का समाधान, कम दरें या वस्तुओं पर जीएसटी से छूट दी गई है.

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