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अक्सर बढ़ी रहती है दिल की धड़कन, ये एरिथमिया का संकेत तो नहीं?

  • दिल की धड़कन की समस्या को मेडिकल की भाषा में एरिथमिया के रूप में जाना जाता है। इस समस्या के कारण आपका दिल बहुत तेज़ी से, बहुत धीरे-धीरे या अनियमित गति के साथ धड़क सकता है। वैसे तो शारीरिक गतिविधियों जैसे खेलकूद-व्यायाम के दौरान हृदय गति का तेज होना और आराम करते-सोते समय इसका धीमा होना सामान्य है।

दिल की धड़कन बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार बहुत खुशी, गुस्से या डर जैसी भावनाओं के कारण आपको धड़कनों के बढ़ने का एहसास हो सकता है। ये सामान्य भी है, हालांकि अगर आपकी धड़कन अक्सर ही बढ़ी रहती है तो इस तरह की समस्या को गंभीरता से लिया जाना जरूरी है। धड़कनों के अनियंत्रित रहने की स्थिति मेडिकल की भाषा में एरिथमिया के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं, जब आप आराम से बैठे हों या लेट हों तो दिल के धड़कने की दर 60 से 100 बीट प्रति मिनट के बीच होनी चाहिए। खुशी-दुख जैसी भावनात्मक स्थतियों को छोड़कर अगर धड़कन इससे कम या अधिक बनी रहती है तो इसे अनियमितता का संकेत माना जाता है। अगर आराम की स्थिति में आपकी धड़कन बढ़ी रहती है तो ये स्वास्थ्य के लिए खतरनाक संकेत हो सकता है जिसका समय पर निदान और इलाज किया जाना आवश्यक है।

एरिथमिया की समस्या के बारे में जानिए

अनियमित दिल की धड़कन की समस्या को मेडिकल की भाषा में एरिथमिया के रूप में जाना जाता है। इस समस्या के कारण आपका दिल बहुत तेज़ी से, बहुत धीरे-धीरे या अनियमित गति के साथ धड़क सकता है। वैसे तो शारीरिक गतिविधियों जैसे खेलकूद-व्यायाम के दौरान हृदय गति का तेज होना और आराम करते-सोते समय इसका धीमा होना सामान्य है। पर इसका अक्सर बढ़ना या कम होना समस्याकारक हो सकता है। एरिथमिया की समस्या के शिकार लोगों में कार्डियक अरेस्ट जैसी जानलेवा परेशानियों का जोखिम अधिक होता है।

एरिथमिया के क्या लक्षण होते हैं?

एरिथमिया की स्थिति कई बार बिना किसी गंभीर लक्षणों के भी हो सकती है। कई मामलों में ऐसा होता है कि आप किसी और बीमारी का इलाज करा रहे हैं और जांच करते समय डॉक्टर को अनियमित दिल की धड़कन का पता चले। वहीं कुछ लोगों में अनियमित दिल की धड़कन के कारण कुछ प्रकार की दिक्कतें भी हो सकती हैं, जिसके आधार पर समस्या का निदान किया जाता है।

एरिथमिया का जोखिम

अगर आपको ऐसा लगता है कि आपका दिल बहुत तेज़ या बहुत धीरे-धीरे धड़क रहा है या कभी-कभी यह कुछ सेकेंड्स के लिए रुक रहा है तो डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। यदि आपको सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी, चक्कर आने, बेहोशी और सीने में दर्द जैसी दिक्कतें भी हो रही हैं तो भी इसपर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए। हृदय वाहिकाओं में होने वाली समस्याओं के कारण इस तरह की दिक्कतों का होना सामान्य है। हृदय धमनियों का संकीर्ण हो जाना, हृदय वाल्व में कोई दिक्कत भी एरिथमिया का जोखिम बढ़ा देती है।

एरिथमिया का उपचार और बचाव कैसे करें?

एरिथमिया, किस वजह से हो रहा है इस आधार पर दवाइयों और आवश्यकता पड़ने पर थेरेपी के माध्यम से इसका उपचार किया जाता है। जिन लोगों की धड़कन लगातार कम बनी रहती है उनमें सर्जरी करके पेसमेकर लगाने की भी जरूर हो सकती है। डॉक्टर कहते हैं, जीवनशैली-आहार को ठीक रखकर इस तरह की समस्याओं से बचाव किया जा सकता है। हृदय को स्वस्थ रखने वाले आहार, शारीरिक रूप से सक्रिय रहना जैसे नियमित योग-व्यायाम, वजन को कंट्रोल रखना, धूम्रपान-शराब से बिल्कुल दूरी बनाकर रखना इसमें आपके लिए सहायक हो सकता है।

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