जिस तरह आप घर पर बिना इंटरनेट के टीवी चैनलों का आनंद लेते हैं, वैसा ही आनंद आप अपने मोबाइल फोन पर भी ले सकते हैं। आप बेहद कम कीमत पर ओटीटी कंटेंट भी देख पाएंगे, वो भी बिना किसी डेटा चार्ज के। यह संभव होगा डायरेक्ट टू मोबाइल यानी डी2एम तकनीक के जरिए। यह तकनीक डी2एच की तरह है। इसके लिए केंद्रीय दूरसंचार विभाग, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और आईआईटी कानपुर ने काम शुरू कर दिया है। यह टीम अगले सप्ताह इस तकनीक की व्यवहार्यता पर टेलीकॉम ऑपरेटरों से बातचीत करेगी।
डी2एच क्या है ?
“D2H” आमतौर पर “डायरेक्ट-टू-होम” टेलीविजन सेवा को संदर्भित करता है। यह एक ऐसी तकनीक है जो उपग्रह प्रसारण के माध्यम से टेलीविजन संकेतों को सीधे ग्राहक के परिसर में प्रसारित करने की अनुमति देती है। यह सेवा केबल ऑपरेटरों जैसे बिचौलियों की आवश्यकता को समाप्त कर देती है, क्योंकि सामग्री सीधे उपयोगकर्ता के सैटेलाइट डिश और सेट-टॉप बॉक्स पर पहुंचा दी जाती है। D2H सेवाएं डिजिटल प्रारूप में फ्री-टू-एयर और सदस्यता-आधारित दोनों चैनलों सहित टीवी चैनलों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करती हैं। उपयोगकर्ता उन चैनलों का चयन और भुगतान कर सकते हैं जिन तक वे पहुंचना चाहते हैं, जो पारंपरिक केबल टीवी सेवाओं की तुलना में अधिक लचीलापन और विकल्प प्रदान करता है।
डी2एम तकनीक कैसे काम करेगी?
यह ब्रॉडबैंड और प्रसारण का एक संयोजन है। डी2एम वही तकनीक है जो मोबाइल पर एफएम रेडियो प्रसारित करती है। फोन में लगा रिसीवर रेडियो फ्रीक्वेंसी को पकड़ लेगा। इसके लिए 526-582 मेगाहर्ट्ज बैंड का इस्तेमाल करने की तैयारी की जा रही है। यह बैंड वर्तमान में टीवी ट्रांसमीटरों के लिए उपयोग किया जाता है।
2026 तक देश में 100 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं होंगे
अभी देश में 21 से 22 करोड़ परिवारों के पास टीवी है। देश में स्मार्टफोन के 800 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं, जो 2026 तक 1000 मिलियन हो जाएंगे। इसलिए सरकार ज्यादा लोगों तक टीवी कंटेंट भेजने के लिए फोन को सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म मान रही है। सरकार इसके जरिए शिक्षा और आपातकालीन सेवाओं का प्रसारण करना चाहती है।
क्या बहुत सारी सामग्री मुफ़्त होगी?
पिछले जून में, आईआईटी कानपुर ने देश में डी2एम प्रसारण और 5जी कन्वर्जेंस रोडमैप पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित किया था। इसमें कहा गया है कि प्रसारक डी2एम नेटवर्क से क्षेत्रीय टीवी, रेडियो, शैक्षिक सामग्री, आपातकालीन चेतावनी प्रणाली, आपदा सूचना, वीडियो और डेटा-संचालित ऐप्स प्रदान करने में सक्षम होंगे। ये ऐप्स बिना इंटरनेट के चलेंगे और पैसे भी कम देने होंगे।
मोबाइल ऑपरेटरों को समझाना एक बड़ी चुनौती है
मोबाइल ऑपरेटर विरोध कर सकते हैं, क्योंकि डी2एम से उनके डेटा राजस्व पर असर पड़ना तय है। उनका 80% ट्रैफिक वीडियो से आता है।