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सफलता की कहानी घुटने की चोट ने बदल दी करियर की दिशा

  • फिलहाल सीडीएस के परिणाम का भी इंतजार है।
    नंदग्राम के रहने वाले 23 वर्षीय गगनदीप भारती ने पहले प्रयास में संघ लोक सेवा आयोग की सीपीएफ असिस्टेंट कमांडेंट परीक्षा में 85 रैंक हासिल की है। वह एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तरीय पर चैंपियन रह चुके हैं, लेकिन घुटने की चोट ने गगनदीप के करियर को नई दिशा दी। एक बेहतर रणनीति बनाकर डिफेंस सर्विस की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई। फिलहाल सीडीएस के परिणाम का भी इंतजार है। गगनदीप भारती के पिता प्रमोद कुमार कंस्ट्रक्शन में ठेकेदारी करते हैं और वहीं मां ऊषा भारती गृहणी हैं सेंट जोसेफ एकेडमी नंदग्राम में हुई गगनदीप की प्राथमिक शिक्षा गगनदीप की प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा सेंट जोसेफ एकेडमी नंदग्राम में हुई। 10वीं में उन्होंने 94.6 प्रतिशत और 12वीं में पीसीबी से 89 प्रतिशत अंक प्राप्त किए थे। पढ़ने के साथ उन्हें खेल में भी रुचि थी। वह नेशनल प्रतियोगिता में चैंपियन रहने के साथ इंटरनेशनल भी खेल चुके हैं। 12वीं के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से लाइफ साइंस में ग्रेजुएशन के दौरान जूनियर ओलिंपिक के लिए तैयारी शुरू की, लेकिन उस समय लाकडाउन लग गया। वह सीनियर ओलिंपिक की तैयारी शुरू ही कर रहे थे। जिसमें उन्हें गंभीर घुटने की चोट आयी। वह बेड रेस्ट पर थे तो उन्हें लगा की अब स्पोर्ट्स में वह कंटीन्यू नहीं कर पाएंगे। कमांडेंट परीक्षा में 85 रैंक हासिल की है। वह एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तरीय पर चैंपियन रह चुके हैं, लेकिन घुटने की चोट ने गगनदीप के करियर को नई दिशा दी। एक बेहतर रणनीति बनाकर डिफेंस सर्विस की तैयारी शुरू की और पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई।

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