द केरला स्टोरी फिल्म इन दिनों चर्चा में है। वहीं गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार को झटका दे दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने बंगाल में फिल्म में लगे बैन को हाटने का आदेश दे दिया है। साथ ही बंगाल की ममता सरकार को कहा कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है।
उच्चतम न्यायालय ने आगे कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेशन देने के खिलाफ भी याचिकाएं दाखिल की गई हैं। इन पर सुनवाई से पहले हम भी यह फिल्म देखना चाहेंगे।
राज्य का कर्तव्य है कि वह कानून-व्यवस्था को कायम रखे
अदालत ने कहा, ‘इस फिल्म में 32 हजार महिलाओं के इस्लाम कुबूल करने वाले आरोपों पर अस्वीकरण लगाया जाए कि ये काल्पनिक है। और निर्माता ध्यान दें कि ये काम 20 मई को शाम 5 बजे से पहले हो जाए। आप जनता की असहिष्णुता को अहमियत देकर अगर कानून का ऐसे इस्तेमाल करेंगे तो हर फिल्म का यही हाल होगा।
फिल्म निर्माता के वकील हरीश साल्वे ने इस बात को माना है कि 32 हजार महिलाओं के इस्लाम कबूल करने को सही ठहराने का तथ्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे अस्वीकरण में फिल्म में दिया जाएगा।
कोलकाता और मद्रास हाईकोर्ट मामले की सुनवाई 18 जुलाई को
फिल्म पर पश्चिम बंगाल में सरकार ने जबकि तमिलनाडु में सिनेमा घरों के मालिकों ने बैन लगाया था। कोलकाता और मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों उच्च न्यायालय के मामले में गर्मियों की छुट्टी के बाद 18 जुलाई को सुनवाई करेगा।
आखिर क्यों हुई थी द केरला स्टोरी बैन?
फिल्म ‘द केरला स्टोरी’ में केरला के अंदर अलग-अलग समुदाय की लड़कियों के इस्लाम में धर्मातंरित कर उन्हें ISIS में शामिल करने पर आधरित है। वहीं, मुस्लिम संगठन, मानवाधिकार कार्यकर्ता और कुछ राजनीतिक पार्टियां इस फिल्म को इस्लाम और केरल को बदनाम करने वाली बता रहे हैं। इसी काऱण फिल्म को बैन किया गया है।