भारत के हृदय में बसा मध्यप्रदेश दुनिया भर में अपनी कला और संस्कृति की वजह से अलग पहचान रखता है। राजधानी भोपाल से लेकर प्रदेश में अनेकों ऐसे स्थान है जहाँ के गौरवशाली इतिहास और प्राचीन मंदिरों को देखने और समझने देश-विदेश से पर्यटक आते है। इसके अलावा देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में दो यहाँ स्थापित है। जिस वजह से यह श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी है।
प्रदेश में महाकाल की नगरी उज्जैन में एक ज्योतिर्लिंग स्थित है तो वहीं दूसरा नर्मदा नदी के किनारे ओमकार पर्वत की गोद ओंकारेश्वर में स्थापित है। सनातन को मानने वाले के दिलों में यह बेहद ख़ास जगह रखता है। शायद यहीं वजह है कि प्रदेश में सालभर भक्तों तथा पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। हालाँकि प्रदेश प्राकृतिक रूप से भी काफी समृद्धशाली है लेकिन आज हम आपको इन दोनों मंदिरों के रोचक और रहस्मयी इतिहास के बारे में बताने जा रहे है।
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जानें ओंकारेश्वर की खासियत
नर्मदा नदी के किनारे बसे ओंकारेश्वर मंदिर की प्राचीन मान्यता यह है कि भगवान शिव आज भी यहां माता पार्वती के साथ रात्रि विश्राम करने आते हैं। इस दौरान वो चौसर भी खेलते हैं। जिस वजह से शाम की आरती के बाद यहाँ चौपड़ बिछाई जाती है जो सुबह तक बिखरी मिलती है। इसके साथ ही यहाँ रहने वाले यात्रियों का यह भी कहना है कि मंदिर में रात के समय एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता है।
बता दें, इस मंदिर के गर्भग्रह में एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है जिसकी प्राचीन काल से ही पूजा-अर्चना की जा रही है, यहां प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और अपने जीवन के अलग-अलग कार्यों की सफलता के लिए उनसे आशीर्वाद प्रार्थना करते हैं। इसके साथ ही यहाँ नर्मदा माता भी बहती है जिस वजह से यहाँ की धार्मिक मान्यता और अधिक बढ़ जाती है।