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- मणिपुर में सुरक्षा बलों ने अब तक 11,763 गोलियां, 896 हथियार और 200 बम बरामद किए.
- चोरी गए हथियारों को बरामद करने के लिए तलाशी अभियान जारी.
- कम से कम 500,000 गोलियां और लगभग 3,500 हथियार चोरी होने की आशंका.
इंफाल. मणिपुर में पिछले एक महीने से जारी हिंसा के बीच सुरक्षा बलों ने अब तक 11,763 गोलियां, 896 हथियार और 200 बम बरामद किए हैं. राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने इसके बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पिछले महीने राज्य में दो समुदायों के बीच हिंसक झड़पों के शुरू होने के लगभग एक हफ्ते बाद चोरी गए हथियारों को बरामद करने के लिए एक तलाशी अभियान शुरू किया गया. हालांकि राज्य में चोरी से किए गए हथियारों की मात्रा का कोई आधिकारिक अनुमान मौजूद नहीं है. फिर भी अधिकारियों ने पहले कहा था कि दंगा प्रभावित राज्य में ग्रेनेड और मोर्टार सहित कम से कम 500,000 गोलियां और लगभग 3,500 हथियार चोरी हो गए हैं. ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की 1 जून की अपील के बाद स्थानीय निवासियों ने लगभग एक हफ्ते पहले चोरी गए हथियारों को वापस जमा करना शुरू कर दिया था. जिन्होंने पिछले महीने की हिंसा के बाद चार दिनों के लिए तनावग्रस्त राज्य का दौरा किया था, ताकि तनाव को शांत करने और विरोधी समूहों के बीच समझौता कराने के प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सके. अधिकारियों ने कहा कि तब से 8 जून के बीच 144 हथियार बरामद किए, जबकि 750 हथियार शाह की यात्रा से पहले बरामद किए गए थे. मणिपुर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि वे चोरी किए गए हथियारों का एक बड़ा हिस्सा बरामद करने के लिए आश्वस्त थे. जो बड़े पैमाने पर दंगाई भीड़ अपने साथ गई थी. बहरहाल अधिकारियों ने चेतावनी दी कि इस पूरे काम में समय लगेगा, क्योंकि दो मुख्य संघर्षरत समुदायों कुकी और मेइती के बीच हिंसा अब भी जारी है. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सेना की बरामदगी के प्रयासों को तकनीकी जानकारी के साथ-साथ मुखबिरों से मिली खुफिया जानकारी के हिसाब से चलाया गया. खुफिया जानकारी मिलने के किसी पॉकेट में तलाशी अभियान चलाया जाता है. ऐसा नहीं है कि हर घर की जांच की जाती है. गौरतलब है कि 3 मई के बाद से पूर्वोत्तर के इस राज्य में मुख्य रूप से मेइती और कुकी समुदायों के बीच जातीय संघर्ष चल रहा है. हिंसा में अब तक कम से कम 105 लोग मारे गए हैं, 300 से अधिक घायल हुए हैं और लगभग 40,000 विस्थापित हुए हैं.