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- विधानभा चुनाव से पहले भाजपा ने मोदी की गारंटी 2023 के नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया था।
- भाजपा वादों को लागू करने के लिए तेजी से आगे नहीं बढ़ी तो राज्य में भाजपा की लोकसभा चुनाव की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने लोकलुभावन योजनाओं से किसानों, महिलाओं और गरीबों को लुभाने की पुरजोर कोशिश की थी, लेकिन इसमें भाजपा द्वारा किए गए वादे बाजी मार गए हैं। चुनाव से पहले भाजपा ने ‘मोदी की गारंटी 2023’ के नाम से अपना घोषणापत्र जारी किया था, जिसका सकारात्मक परिणाम उनके पक्ष में आता दिखा है। भाजपा ने रविवार को छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीन ली और राज्य विधानसभा की 90 सीटों में से 54 सीटें जीत लीं, जबकि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस को 35 सीटें मिलीं। इसके अलावा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को एक सीट मिली है।
दोनों पार्टियों ने लगाया दमखम
भाजपा ने इस बार अपना चुनाव अभियान शुरू किया, उसे भूपेश बघेल सरकार की किसान-समर्थक, आदिवासी-समर्थक और गरीब-समर्थक योजनाओं का मुकाबला करने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ा, जिससे कांग्रेस राज्य में अपनी सत्ता बनाए रखने की उम्मीद कर रही थी। दोनों पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में समाज के विभिन्न वर्गों को रियायतें देने की पेशकश की है।
किसीनों के लिए लोकलुभावन वादे
इस साल चुनाव से काफी पहले कांग्रेस ने घोषणा की थी कि राज्य इस खरीफ सीजन में किसानों से प्रति एकड़ 20 क्विंटल धान खरीदेगी। चुनाव प्रचार के दौरान, इसने किसानों को ऋण माफी का वादा किया, जो 2018 में भी किया गया था। जैसे ही चुनाव अभियान ने गति पकड़ी, कांग्रेस ने कई वादे किए, जिनमें ‘राजीव गांधी भूमिहीन किसान न्याय योजना’ के तहत भूमिहीन मजदूरों को दी जाने वाली वार्षिक वित्तीय सहायता 7,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये करना, केजी से पीजी तक मुफ्त शिक्षा प्रदान करना और 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देना शामिल है।
महिलाओं के लिए कई घोषणाएं
इसमें महिलाओं को घरेलू गैस सिलेंडर पर 500 रुपये की सब्सिडी, 6,000 रुपये में प्रति बैग तेंदू पत्ते की खरीद और तेंदू पत्ता संग्राहकों को 4,000 रुपये का वार्षिक बोनस, गरीबों को 10 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज का वादा करते हुए, सड़क दुर्घटना में पीड़ितों को सहायता राशि एवं स्व-सहायता समूहों का ऋण माफ और भी कई चीजों की पेशकश की गई। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 3,200 रुपये देने का भी वादा किया है। चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक, 2018 में भाजपा की करारी हार का एक कारण उनका कमजोर घोषणापत्र था। हालांकि, कांग्रेस 2018 में किए गए सभी वादों को पूरा करने में असमर्थ रही।
मोदी का गारंटी का छाया जादू
पिछले झटके को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने इस बार अपने घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ के लिए ‘मोदी की गारंटी 2023’ नाम से लोकलुभावन वादे किए। भाजपा के वादों में प्रति एकड़ 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल धान की खरीद, ‘महतारी वंदन योजना’ के तहत विवाहित महिलाओं को 12,000 रुपये की वार्षिक वित्तीय सहायता, ‘पीएम आवास योजना’ के तहत 18 लाख घरों का निर्माण, तेंदू पत्ता की खरीद प्रति मानक बोरा 5,500 रुपये, पत्ता संग्राहकों को 4,500 रुपये का बोनस और भूमिहीन खेत मजदूरों को 10,000 रुपये की वार्षिक सहायता देना शामिल था।
राम मंदिर दर्शन के लिए मुफ्त यात्रा
इसके अलावा, गरीब परिवारों की महिलाओं को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर, कॉलेज जाने के लिए छात्रों को मासिक यात्रा भत्ता, लड़कियों के जन्म पर बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) परिवारों को 1.50 लाख रुपये का ‘आश्वासन प्रमाण पत्र’ देने का भी वादा किया था। इसमें राम मंदिर के दर्शन के लिए अयोध्या की मुफ्त यात्रा भाजपा के अन्य लोकलुभावन वादों में से एक थीं।
तेजी से पूरे करने होंगे चुनावी वादे
भाजपा की महतारी वंदन योजना के महिलाओं के बीच लोकप्रियता हासिल करने की खबरों के बीच, बघेल ने दिवाली के दिन ‘छत्तीसगढ़ गृह लक्ष्मी योजना’ शुरू करने का वादा किया, जिसके तहत महिलाओं को सालाना 15,000 रुपये की वित्तीय सहायता देने का वादा किया गया था। राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, यदि भाजपा वादों को लागू करने के लिए तेजी से आगे नहीं बढ़ी, तो राज्य में भाजपा की लोकसभा चुनाव की संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।